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हाई कोर्ट ने अमला मुर्मू के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया ,  चांडिल प्रखंड के प्रमुख पद  पर रहेंगी बरकरार…

हेमंत सरकार और प्रशासन ने आदिवासियों के साथ अन्याय किया लेकिन न्यायालय ने न्याय किया : अमला मुर्मू

चाण्डिल: कल्याण पात्रा । झारखंड उच्च न्यायालय ने चांडिल प्रखंड के प्रमुख पद को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, क्षेत्र में इसकी चर्चा जोरों पर है। अमला मुर्मू बनाम झारखंड सरकार, उपायुक्त सरायकेला खरसावां, गुरूपद हांसदा, चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी, चांडिल अंचलाधिकारी, झारखंड चुनाव आयोग, सरायकेला पंचायत राज पदाधिकारी के रिट याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय ने अंतिम सुनवाई की। उच्च न्यायालय ने अमला मुर्मू के पक्ष में सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। बता दें कि चांडिल प्रमुख अमला मुर्मू पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले की बेटी हैं जो चांडिल के भादूडीह निवासी जयराम माझी की पत्नी है।

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2022 के झारखंड पंचायत चुनाव में अमला मुर्मू ने अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट से भादूडीह पंचायत समिति सदस्य के लिए चुनाव लड़ी और चुनाव जीती। इसके बाद अमला मुर्मू ने चांडिल प्रमुख पद के लिए चुनाव लड़ी, जिसमें अमला मुर्मू ने अपने प्रतिद्वंद्वी पंचायत समिति सदस्य गुरूपद हांसदा को परास्त करके प्रमुख चुनाव जीती थी। चुनाव हारने के बाद गुरूपद हांसदा ने अमला मुर्मू के जाति प्रमाण पत्र को लेकर सरायकेला खरसावां उपायुक्त से शिकायत किया था।

शिकायत में बताया गया था कि चांडिल प्रमुख अमला मुर्मू पश्चिम बंगाल की है। शिकायत में कहा गया था कि झारखंड पंचायत चुनाव 2022 में अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट से अमला मुर्मू पंचायत समिति सदस्य के लिए निर्वाचित हुई हैं और अनुसूचित जनजाति आरक्षित प्रमुख चुनाव भी जीती हैं। बताया जाता है कि उक्त शिकायत पर सरायकेला उपायुक्त ने राजनीतिक दबावों में आकर आनन फानन में अमला मुर्मू के खिलाफ फैसला देते उसकी प्रमुख पद तथा पंचायत समिति सदस्य के पद को रद्द कर दिया था। वहीं पुनः प्रमुख का चुनाव कराने का आदेश जारी कर दिया गया था।

इधर, उपायुक्त के आदेश से अमला मुर्मू निराश हो गई थी। वहीं, आजसू पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी भारी निराशा थी। ततपश्चात आजसू पार्टी के केंद्रीय सचिव हरेलाल महतो ने तत्कलीन प्रमुख अमला मुर्मू तथा कार्यकर्ताओं के मनोबल को टूटने से बचाने का हरसंभव प्रयास किया। वहीं, झारखंड उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करने का निर्णय लिया। आजसू केंद्रीय सचिव हरेलाल महतो के निर्देश पर अमला मुर्मू ने झारखंड उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कराया। उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएसपी के माध्यम से रिट याचिका दायर किया गया था। रिट याचिका अमला मुर्मू बनाम झारखंड सरकार, सरायकेला खरसावां उपायुक्त, प्रतिद्वंद्वी गुरूपद हांसदा, चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी, चांडिल अंचलाधिकारी, झारखंड चुनाव आयोग, सरायकेला पंचायत राज पदाधिकारी के बीच चली।

तकरीबन छह महीने तक उच्च न्यायालय में बहस होने के बाद अंतिम फैसला सुनाया गया है। उच्च न्यायालय के जस्टिस गौतम कुमार चौधरी के अदालत में यह फैसला सुनाया गया। दोनों पक्ष के दलीलों को सुनने और प्रस्तुत किए गए कागजातों के आधार पर अदालत ने अमला मुर्मू के पक्ष में फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने फैसले पर कहा कि याचिकाकर्ता अमला मुर्मू के खिलाफ दिया गया निर्णय अन्यायपूर्ण है। याचिकाकर्ता के चुनाव रद्द करने का निर्णय गलत है। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद यह तय माना जा रहा है याचिकाकर्ता अमला मुर्मू चांडिल प्रमुख पद पर बरकरार रहेंगी।

याचिकाकर्ता अमला मुर्मू के वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस पी सिन्हा ने अदालत में दलील दी है कि अमला मुर्मू पिछले 18 साल से झारखंड में रह रही हैं और झारखंड निवासी जयराम मांझी की पत्नी हैं। दोनों पति – पत्नी अनुसूचित जनजाति से हैं। जब अमला मुर्मू ने अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट से पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था, तब झारखंड सरकार द्वारा जारी किए गए जाति प्रमाण पत्र को भी समर्पित किया था, तब किसी ने आपत्ति नहीं जताया था। वहीं, चुनाव आयोग ने भी उसके जाति प्रमाण पत्र को स्वीकार कर लिया था। इसी आधार पर याचिकाकर्ता ने चुनाव लड़कर जीता था। अधिवक्ता की ओर से करीब 15 दलीलें पेश किया गया था।

 

हेमंत सरकार और प्रशासन ने आदिवासियों के साथ अन्याय किया लेकिन न्यायालय ने न्याय किया : अमला मुर्मू

झारखंड उच्च न्यायालय के अंतिम फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए तत्कालीन चांडिल प्रमुख एवं याचिकाकर्ता अमला मुर्मू ने कहा कि उन्हें पद से हटाने के लिए एक गहरी साजिश रची गई थी। हेमंत सरकार और प्रशासन ने मिलीभगत करके उन्हें परेशान किया था। आदिवासी महिलाओं को अपमानित करने का काम किया है लेकिन न्यायालय ने महिलाओं और आदिवासियों के पक्ष में फैसला देकर झारखंड के आदिवासी महिलाओं के साथ न्याय किया है। अमला मुर्मू ने कहा कि दूसरे राज्यों से विवाह करके झारखंड आई हुई महिलाएं केवल वंश बढ़ाने का मशीन नहीं है। बल्कि पुरुषों के समान महिलाओं को भी उतना ही अधिकार है। उन्होंने कहा कि अब वह महिलाओं को जागरूक करने का काम करेगी और उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी देगी।

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