राजकीय चैत्र पर्व छऊ महोत्सव-2024 के द्वितीय दिवस पर छऊ नृत्य सहित पारंपरिक नृत्यों ने दर्शकों का मन मोहा।
सरायकेला छऊ पहचान की मोहताज नहीं: विजय कुमार
सरायकेला (संजय मिश्रा) : सोलह कलाओं की नगरी कही जाने वाली सरायकेला की धरती पर छऊ महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी धरती पर नौ-नौ पद्मश्री हैं। अगर छऊ की बात करें तो छऊ में सात गुरुओं को पद्मश्री से नवाजा गया है। आज सरायकेला के नाम को पूरे विश्व के लोग इस कारण जान रहे हैं। छऊ नृत्य से विदेशी भी इतने आकर्षित हुए कि वे भी सरायकेला आकर छऊ की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जिला प्रशासन एवं राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को रंगारंग आगाज के साथ द्वितीय दिवस के राजकीय चैत्र पर्व छऊ महोत्सव महोत्सव का शुभारंभ किया गया।
सरायकेला स्थित बिरसा मुंडा स्टेडियम में आयोजित उक्त राजकीय चैत्र पर्व छऊ महोत्सव-2024 का दीप प्रज्वलित कर विधिवत उद्घाटन शुक्रवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार, अपर सत्र न्यायाधीश कुमार क्रांति प्रसाद एवं खरसावां राजा गोपाल नारायण सिंहदेव ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर न्यायिक पदाधिकारियों के साथ सरायकेला अनुमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार प्रजापति एवं राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला की प्रभारी निदेशक सह सरायकेला प्रखंड विकास पदाधिकारी यस्मिता सिंह मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इस अवसर पर अतिथियों को पौधे और सॉल देकर स्वागत किया गया। मौके पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि सरायकेला छऊ अब पहचान की मोहताज नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां के कलाकार देश ही नहीं विदेश में भी अपनी पहचान बन चुके हैं। विदेश से जो लोग सरायकेला में छऊ सीखने आते हैं, उनकी सुरक्षा की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए।
ताकि जब वे अपने देश लौटे तो छऊ की संस्कृति का प्रचार प्रसार कर सकें। आज सरायकेला के नाम को पूरे विश्व के लोग जान रहे हैं। छऊ नृत्य से विदेशी भी इतने आकर्षित हुए हैं कि वे भी सरायकेला कर छऊ की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इससे पूर्व मंच पूजन कर महोत्सव का शुभारंभ किया गया। जहां राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के कलाकारों द्वारा यात्रा घट मंगलाचरण के साथ संगीत में आराधना की गई। इसके पश्चात ओडिसा के बसंत महाराणा एवं दल रघुराजपुर द्वारा गुटीपुओ नृत्य किया गया। रांची के न्यू झारखंड कला संगीत सृजन की टीम द्वारा नागपुरी नृत्य कर जमकर तालियां बटोरी। सुखराम पाहन एवं दल द्वारा सिंघुआ छऊ नृत्य, कोलकाता की रीना जेना एवं दल द्वारा ओडिशी नृत्य, राजेकपुरी माहांतो एवं दल द्वारा मयूरभंज छऊ, वासुदेव सा एवं दल द्वारा धाप गुड़का नृत्य की प्रस्तुति की गई।
जिस पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई। इसके साथ ही जनजातीय नृत्य, क्रिएटिव नृत्य पुरुलिया छऊ नृत्य, महिलाओं द्वारा मानभूम छऊ नृत्य, बंगाल की टीम द्वारा झुमर नृत्य की प्रस्तुति की गई। छऊ महोत्सव के दौरान बिरसा मुंडा स्टेडियम में दर्शकों की काफी भीड़ रही। एक के बाद एक नृत्य की प्रस्तुति की जा रही थी जो दर्शकों को अपनी ओर खींचती रही।