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चाकुलिया: हुल दिवस के अवसर पर वीर शहीद चानकु महतो को याद करते हुए श्रद्धांजलि देकर नमन किया

चाकुलिया (विश्वकर्मा सिंह) चाकुलिया प्रखंड अंतर्गत भालुकबिंदा गांव के मेम क्लब में शहीद चानकु महतो आंचलिक स्मारक समिति द्वारा हुल दिवस मनाया गया. इस अवसर पर संथाल वीर शहीद चानकु महतो के स्मारक में पूजा अर्चना कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

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कार्यक्रम को संबोधित कर अध्यक्ष हरी शंकर महतो ने शहीद चानकु महतो के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा की संताल विद्रोह के दौरान 1856 में चानकु महतो को अँग्रेज शासकों ने गोड्डा में सरेआम फाँसी के फंदे में झुला दिया था. चानकु महतो जैसे एक प्रमुख शहीद का नाम सरकारी दस्तावेज में उपलब्ध है. ज्ञातव्य है कि 1594 में मानसिंह को बंगाल का सूबेदार बनाकर भेजा और उन्होंने राजमहल में नयी राजधानी बसायी. यह क्षेत अगम्य होने के कारण मुगल यहाँ शासन स्थापित नहीं कर सके. उन्होंने कहा कि मुगल आने के काफी पूर्व संतालों के साथ-साथ कुड़मी जाति के लोग तत्कालीन भागलपुर और वीरभूम जिले में बसने लगे थे. संताल विद्रोह के बाद 1855 में भागलपुर और वीरभूम जिले के हिस्से को अलग कर संतालपरगना जिला बनाया गया था. चानकु महतो का जन्म 9 फरवरी 1816 ई. में गोडा स्थित रांगामाटिया गाँव में हुआ था. वे अपने आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के प्रधान थे. वे कुड़मी समाज के परगनैत थे, जो कई गाँवों का प्रधान होता है. उन्होंने बताया की वहाँ सिदो कान्हू के नेतृत्व में संताल आदिवासी रैयत काफी संख्या में अँग्रेजों, महाजनों के खिलाफ एकत्रित होकर मजबूती के साथ आवाज बुलन्द कर रहे थे. चानकु महतो ने सिदो-कान्हू के नेतृत्व को मानते हुए अपने आंदोलन को संताल विद्रोह के साथ जोड़ा और जगह-जगह सभा आयोजन कर अँग्रेज शासकों को ललकारने लगा. चानकु महतो के आंदोलन से सिदो कान्हू को काफी बल मिला था.

इस मौके पर राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत शिक्षक मनसा राम महतो, अध्यक्ष हरी शंकर महतो, कोकिल महतो, मनोरंजन महतो, भूषण महतो, पार्थों महतो, चंदन महतो, उत्तम महतो, सतदल महतो, अनिल महतो, दिलीप महतो, विकाश महतो, पूर्णेंदु महतो, जीतेन महतो, छोटू महतो, रवींद्र महतो, विनय महतो आदि उपस्थित थे.

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