नगर पंचायत पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने विश्व आदिवासी दिवस पर दी शुभकामनाएं…
सरायकेला: संजय मिश्रा नगर पंचायत सरायकेला के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने प्रकृति के संवाहक व जल, जंगल, जमीन के पुजारी विश्व के तमाम आदिवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए आलेख में आदिवासियों के इतिहास एवं वर्तमान जनजीवन पर प्रकाश डाला है। जैसे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और दुरुपयोग के दुष्प्रभावों से निजात पाने के लिए पूरा विश्व संघर्षरत है। वैसे ही हमारे भोले भाले जनजातीय भाई बहनों की जनसंख्या के अनुपात में दिन प्रतिदिन कमी हमारी चिंता का विषय होना चाहिए।
आदिवासी समाज की दर्द भरी दास्तान बहुत लंबी है। इतिहास साक्षी है कि आजादी के पूर्व भोले भाले आदिवासियों पर सैकड़ो जुल्म ढाए गए उन्हें येन केन तरीकों से प्रताड़ित किया गया। उनकी दर्द भरी दास्तां आजादी के बाद भी खत्म नहीं हुई और आजादी बाद देश में किसी समाज का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वह केवल हमारा आदिवासी सामाज का ही है। क्योंकि आजादी बाद अपने व्यक्तिगत एवं राजनीतिक लाभ के लिए प्रकृति के रक्षक भोले भाले निर्मल मन के आदिवासी समाज को निशाना बनाते हुए उनका धर्मांतरण कराकर उनका अस्तित्व से खिलवाड़ किया जा रहा है। क्योंकि उनकी आर्थिक माली हालत बद से बदतर होती गई। आजादी के बाद पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा उनके शिक्षण और उनके उत्थान के लिए कोई भी कारगर कदम नहीं उठाए गए।
आदिवासी समाज दिनों दिन पिछड़ता गया। उनकी आर्थिक स्थिति और अशिक्षा का लाभ उठाते हुए आदिवासी समाज का जमकर धर्मांतरण कराया गया। जिसका उदाहरण देश के कई राज्य और हमारा झारखंड भी है। पिछले दिनों हाईकोर्ट द्वारा संथाल परगना में आदिवासी समाज की जनसंख्या में घटते अनुपात बदलती डेमोग्राफी को लेकर जो बातें सामने आई है, बहुत ही चिंता का विषय है। किसी भी देश या राज्य में राजनीतिक लाभ के लिए इस प्रकार धर्मांतरण व डेमोग्राफी बदलने की खुली छूट नहीं दी जा सकती है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आदिवासी समाज को देश की मुख्य धारा में लाने के लिए आमूलचूल काम किए गए हैं।
जिसमें मुख्य रूप से एक सामान्य आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर आसीन किया गया है। आदिवासी समाज को गौरव को बढ़ाने के लिए #जनजातीय_दिवस का शुभारंभ किया गया। और देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री और कई उच्च पदों में आदिवासियों को सुशोभित किया गया।
श्री चौधरी ने इस आलेख के माध्यम से आदिवासी दिवस पर आमजनों से निवेदन किया है कि अपने आसपास के प्रकृति के संरक्षक आदिवासी भाई बहनों से संवाद स्थापित करें। उन्हें अपनी धर्म संस्कृति से जुड़े रहने की प्रार्थना करें एवं धर्मांतरण कराने वालों का कुटिल उद्देश्य एवं उनसे बचकर रहने के लिए उत्प्रेरित करें।