न्यायालय ने चांडिल स्थित सत्यनारायण मंदिर मामले को सुलझाया और सेवायत परिवार को जमीन पर अधिकार ….
चांडिल (सुदेश कुमार) कहते है कि कानून अंधा होता है । फरियादी न्याय को तरसते और परेशन रहता है । अब भारतीय कानून व्यवस्था में बदलाव सेे न्यायमूर्ति के आँख से पट्टी हटने से लोगों को कानून व्यवस्था पर विश्वास जगी । सात साल बाद कोर्ट सें न्याय मिली और चेहरे पर मुस्कान लौट आई ।
मामला चांडिल प्रखंड के सत्यनारायण मंदिर पर चांडिल के खेतान परिवार के द्वारा जबरन कब्जा किये जाने को लेकर सेवायत स्व0 ज्ञानीराम पण्डित परिवार के एकमात्र सुपुत्री रूचि शर्मा और पति अश्वनी शर्मा के साथ 2018 से मंदिर और मंदिर की जमीन को लेकर विवाद चल रहा था । न्यायलय में लबित मामला पर न्यायधीश के द्वारा दोनोे पक्षों के दलील सुनने के बाद सेवायत परिवार के पक्ष में न्याय दिया ।
वही रूचि शर्मा ने बताया की मेरे दादाजी स्व0 सेवायत ज्ञानी राम पंण्डित का परिवार लगभग 70 वर्षो से सत्यनारायण मंदिर कदमडीह परिसर में रहकर भगवान की सेवा और पूजा पाठ करते आ रहे है । वही बताया की 2018 से खेतान परिवार के द्वारा भूमि खाली करने को लेकर मेरे परिवार के साथ मारपीट भी किया गया । जिससे लेकर अनुमण्डल पदाधिकारी के द्वारा लिखित चेतावनी दी गई । अनुमण्डल पदाधिकारी ने वास्तविकता को जाना और कहा की न्यायलय में मामला लम्बित है । न्यायालय के फैसला आने के बाद ही मंदिर परिसर में प्रवेश करने की बात कही गई थी ।
रूचि शर्मा और पति अश्वनी शर्मा ने कहा की सच्चाई पूर्व में साक्ष्य के अभाव में कमजोर अवश्य होता है पर न्यायलय पर पूर्ण विश्वास था। वही बताया कि वर्ष 2018 से मंदिर और मंदिर की जमीन को लेकर खेतान परिवार से विवाद चल रहा था । कैस नं0 ओ एस नं0 09/2020 मामले का सुनवाई करते हुये चांडिल न्यायालय के द्वारा दिनांक 31 अगस्त को हमें न्याय मिला । जिसमें खेतान परिवार के द्वारा न्यायालय के समक्ष कई विन्दुओं को लेकर प्रमाण प्रस्तुत किया गया ।
हमारे महान् अधिवक्ता के द्वारा न्यायालय के समक्ष खेतान परिवार के द्वारा रखें सभी साक्ष्यों को गलत बताया है । कहा की सभी प्रमाण गलत है । दोनो महान् अभिवक्ताओं का दलील सुनने के बाद मामले पर सुनवाई की गई । वही रूचि शर्मा ने बताया की मेरे द्वारा 1963 के बन्दोवस्ती का खतियान को समर्पित किये थे । जिसपर न्यायालय ने खेतान परिवार को 61 वर्षो बाद जमीन पर अधिकार से संबंधित दावे को खरिज किया । वही रूचि शर्मा और उनका परिवार न्यायालय के द्वारा मिले न्याय पर प्रसन्न है और कहा कि अब कानून अंधा नही है …….