रांची : मंईया सम्मान योजना – “सरकार डाल – डाल तो जनता पात – पात ।”
✍️ … दीपक नाग
लंबे इंतजार के बाद झारखंड सरकार के द्बारा बजट में मंईया सम्मान योजना के लिए एक करोड़ छ:सौ तीरषठ करोड़ रुपए का प्रस्ताव लिए जाने से लाभुक महिलाओं के चेहरों में खुशी झलकने लगी है या नहीं यह तय कर पाना कठिन है । पर, दिल बाग-बाग हूई न हो यह मुमकिन नहीं । वह भी तीन महिनों का बकाया राशि 7500 रुपए होली से पहले एक मुश्त में बैंक के खाते में घुसेगी चर्चा में बना हुआ है। घरों में मंईया होगी खुशी तो, भैया क्यों होंगे दु:खी ? जरूरत मंद महिलाओं का इन पैसों से अपने परिवार का लंबित पड़ा अनेक छोटे – बड़े समस्याओं का निपटारा हो सकती है ।
विपक्षियों के लिए होगा सबक :
विधानसभा चुनाव का दौर था। एक -एक पल राजनीतिक दलों के लिए बहुमूल्य था। झारखंड राज्य में झामुमो के लिए भाजपा सबसे अधिक चिंता का विषय बना हुआ था । हेमंत सोरेन के लिए प्रतिष्ठा की बात थी। ऐसे में भाजपा के द्वारा अचानक “गोगो दीदी योजना” के तहत 2100 रूपए दिए जाने की घोषणा किया जाना हेमंत सोरेन के लिए बड़ा चुनौती खड़ी कर दी थी। चुनाव के माहौल में जीत सुनिश्चित करना ज्यादा जरूरी था। हेमंत सोरेन सरकार ने देर न करते हुए 1000 रूपए की राशि को बढ़ाकर 2500 रूपए कर दिया। झामुमो सत्ता में वापसी करते ही विपक्षियों ने सवाल सुरु किया, मंईया सम्मान योजना कब दोगे ? क्यूं कि, पिछले तीन महीनों से नहीं मिला इस योजना का लाभ । लाभुक महिलाओं के चेहरों में मातम सा छाने लगा । बहरहाल, तीन महीनों का एक साथ किस्त मिलने की बात सुनकर मंईया के चेहरे में चमक आने लगी ।

सरकार डाल -डाल तो जनता पात-पात :
उल्लेखनीय है कि, झारखंड राज्य में पचास लाख से अधिक महिलाओं का मंईया सम्मान योजना में नाम पंजीकृत हुई हैं । देखा गया कि, ऐसी भी जरूरत मंद महिलाएं हैं, जिनके नाम पंजीकृत होने के बाद भी आज तक इस योजना का लाभ नहीं मिला। ऐसी पिढ़ीत महिलाएं प्रखंड और पंचायत कार्यालयों में चक्कर लगा-लगा कर थक गई। इनका कोई सुनने वाला नहीं है, झामुमो के कार्यकर्ताएं भी इन मामलों को संज्ञान में लिया होता तो, हेमंत सरकार के लिए रास्ता आसान हो जाता । ऐसी अनगिनत हकदार महिलाओं को निराशा के अतिरिक्त हाथ कुछ न लगा है । धरातल मे कार्यभार संभालने वाले जिम्मेदार सरकारी तंत्र और दफ्तरों से कोई सटीक जानकारी भी इन पिढ़ीत महिलाओं को नहीं मिल पाई है अब तक । खबरों के अनुसार दुसरी ओर असंख्य की महिलाएं अनैतिक तरीकों से यह लाभ लेकर सरकारी खजाने को चुना लगा रही है । सरकार जितनी सरलता के साथ योजना को आरंभ की है उसका अनैतिक लाभ अनेक मंईया बनकर महिलाएं लाभ उठा रही है । उदाहरण के लिए, इनमें अनेकों का पति सरकार में अर्ध या पूर्ण रुप के कर्मचारी हैं । खबरों के अनुसार, सरकार के कानों तक यह खबर पहले ही पहुंच चुकी है और “मंईया सम्मान योजना” के तमाम लाभुकों की जमा की गई दस्तावेज और परिवारिक स्थिति की जांच भी हो रही है । यह तो तय है ऐसी महिलाओं को आनेवाले समय में यह लाभ मिलने वाला नहीं है, जो सरकारी खजाने पर घात लगा कर बैठी है। नये लाभुक सुची के तहत झारखंड राज्य सरकार को बजट संभालने में कुछ हद तक मदद मिलेगी । इस अंदरूनी जांच में कुछ घातक ग़लती भी होने से इंकार नहीं किया जा सकता है । कहीं ऐसा न हो कि, गेहुं के साथ घुन भी पीसा जाए ? यानी, अनैतिक तरीके से लाभ उठाने वाली महिलाओं के साथ विभागीय कर्मचारियों के गैर जिम्मेदारी कार्यप्रणाली के कारण नैतिक महिलाओं का कहीं न नाम लाभुकों के सुची से कट जाए ? यह एक यक्ष प्रश्न है ! संबंधित मंत्रालय को इस दिशा में उतना ही सचेत, सजग ओर स्वक्षता के साथ काम करवाने की जरूरत है, जैसा कि महाकुंभ को सुन्दर ओर सफल तरीके से संपन्न कार्य करने के लिए सभी संत्री, मंत्री और कर्मचारियों को सचेत और स्फूर्ति के साथ काम करना पड़ा था । यहां तक की मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पुरे व्यवस्था के एक-एक चीज पर खुद पैनी नजर बनाए हुए थे। विपक्ष के लोग मौका के तलाश में थे और उन सबों को मुंह की खानी पड़ी । हेमंत सरकार के सभी मंत्रि और संत्रि पर ऐसा ही कुछ उपाय लगानी की जरूरत है ताकि, मौके तलाश में बैठे विपक्ष को कोई मौका ही नहीं मिले । वर्ना, थोड़ा सा चुक विपक्षियों के लिए बड़ा मुद्दा न बन जाए ।