सरायकेला। इन दिनों जिले में खुदकुशी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी क्रम में सरायकेला थाना अंतर्गत शहरी क्षेत्र स्थित रूद्र प्रताप कॉलोनी निवासी 19 वर्षीय इंटर के छात्र संदीप कुमार महतो ने अपने घर में पर्दे के सहारे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया गया कि वर्ष 2015 में संदीप के बड़े भाई की विशाखापट्टनम में ट्रेन से गिरकर मौत हो गई थी। जबकि ढाई साल पहले ही संदीप के पिता ठाकुर दास महतो की भी मौत हो चुकी है।
घटना बुधवार देर रात की बताई जा रही है। इस प्रकार संदीप की आत्महत्या के बाद परिवार का अंतिम चिराग भी बुझ गया। मिली जानकारी के अनुसार मृतक का परिवार सरायकेला प्रखंड के पाटाहेंसल गावं का मूल निवासी है। जो सरायकेला नगर में मकान बना कर रह रहे है। संदीप गम्हरिया स्थित जेवियर कॉलेज में 12 वीं का छात्र था, जो अपनी मां का अंतिम सहारा था। घटना के बाद मां का रो- रो कर बुरा हाल है। मां ने बताया कि संदीप कभी घर का दरवाजा बंद कर नहीं सोता था।
गुरुवार अहले सुबह साढ़े तीन बजे मां ने देखा कि संदीप का दरवाजा बंद है। दरवाजे खुलवाने के लिए बहुत प्रयास किए लेकिन जब दरवाजा नहीं खुला तो पीछे खिड़की से जाकर देखने पर पाया कि संदीप पंखे से पर्दे के सहारे फांसी लगाकर झूल रहा है। किरायेदारों के सहयोग से दरवाजा तुड़वाकर अंदर प्रवेश किया। लेकिन तब तक संदीप इस दुनिया को छोड़कर जा चुका था। मां ने बताया कि संदीप सामान्य दिनों की भांति रात में खाना खाने के बाद अपने कमरे में जाकर पढ़ाई कर रहा था। हर दिन मोबाइल की गैलरी में अपने पिता को देखकर उन्हें याद किया करता था। घटना की सूचना पर पहुंची सरायकेला पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जूट गयी है।
आत्महत्या समस्या का निदान नहीं : देवाधिदेव चटर्जी..
क्षेत्र में लगातार हो रहे आत्महत्या जैसे मामले को लेकर भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी सरायकेला-खरसावां के जिला सचिव देवाधिदेव चटर्जी इसके नियंत्रण को लेकर जनमानस में जागरूकता के काम कर रहे हैं। 1967 में आर्मी के आर्टिलरी रेजिमेंट से रिटायर्ड हुए 91 वर्षीय देवाधिदेव चटर्जी जिला रेड क्रॉस सोसाइटी से जुड़कर आज भी पूरी तन्मयता के साथ रेड क्रॉस सोसाइटी के मानव सेवा के कार्यों का संपादन करते रहे हैं। देवाधिदेव चटर्जी बताते हैं कि समस्या है तो उसका निदान भी अवश्य है। इसलिए समस्या के निराकरण का उपाय तलाशना चाहिए। और बिना संघर्ष के जीवन का अंत कर लेना कायरता कहलाती है। क्योंकि जीवन अनमोल है।
परिवार सहित पूरे समाज को इस मामले पर संजीदा होने की आवश्यकता है। उन्होंने इस मसले पर परिवारों में प्रेम, संस्कार और पारदर्शिता विकसित करने पर भी जोर दिया है। आधुनिकता के इस दौर में टेक्नोलॉजी का उपयोग सही और विकास के कार्यों के लिए हो, यह जरूरी है। परंतु ऐसे आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग नकारात्मकता बढ़ाने के लिए कदापि नहीं होना चाहिए। तनाव मुक्त जीवन के लिए प्रकृति का साथ अपनाया जाए। योग क्रिया और सकारात्मक मित्रों एवं परिजनों का साथ लेकर तनाव को जीवन से तत्काल दूर किया जाए। असफलता सफर का अंत नहीं हो सकता है। लेकिन सकारात्मक सोच के साथ असफलता को भी आगे की सफलता का मजबूत आधार स्तंभ बनाया जा सकता है। ऐसी सोच जीवन में नकारात्मकता और तनाव को हावी होने नहीं देती हैं।