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रामगढ़ के सारमी शिव मंदिर प्रांगण में आयोजित शिव महापुराण के दूसरे दिन की कथा सुनने उमड़े श्रद्धालु…

अच्छे विचारों वाले व्यक्ति को दुनिया भर के सभी लोग अच्छे लगते है,वैसे ही कपटी मनुष्य की नजर सभी को कपटी रुप में ही देखती है – मां ध्यानामूर्ति

रामगढ़(दुमका) मौसम गुप्ता 

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रामगढ़ प्रखंड के सारमी शिव मंदिर प्रांगण में आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण के दूसरे दिन की कथा के दौरान श्री धाम वृंदावन से आई अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथा वाचक मां ध्यानामूर्ति जी महाराज ने शिव जी की महिमा का बखान करते हुए कहा कि शिव का भस्म रमाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक कारण भी हैं।भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है। इसका मुख्य गुण है कि इसको शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती। भस्मी त्वचा संबंधी रोगों में भी दवा का काम करती है।भस्मी धारण करने वाले शिव यह संदेश भी देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है।

त्रिशूल भगवान शिव का प्रमुख अस्त्र है।यदि त्रिशूल का प्रतीक चित्र देखें तो उसमें तीन नुकीले सिरे दिखते हैं। यूं तो यह अस्त्र संहार का प्रतीक है पर वास्तव में यह बहुत ही गूढ़ बात बताता है। संसार में तीन तरह की प्रवृत्तियां होती हैं- सत,रज और तम। सत मतलब सात्विक,रज मतलब सांसारिक और तम मतलब तामसी अर्थात निशाचरी प्रवृति। हर मनुष्य में ये तीनों प्रवृत्तियां पाई जाती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि इनकी मात्रा में अंतर होता है। त्रिशूल के तीन नुकीले सिरे इन तीनों प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

त्रिशूल के माध्यम से भगवान शिव यह संदेश देते हैं कि इन गुणों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण हो। यह त्रिशूल तभी उठाया जाए जब कोई मुश्किल आए। तभी इन तीन गुणों का आवश्यकतानुसार उपयोग हो। उन्होंने कहा कि महादेव को जानने के लिए खुद महादेव बनना होगा। जैसे अच्छे विचारों वाले व्यक्ति को दुनिया भर के सभी लोग अच्छे लगते है, वैसे ही कपटी मनुष्य की नजर सभी को कपटी रुप में ही देखती है। इस दौरान माता सती से संबंधित कथा का भी वर्णन किया गया। वहीं एक से बढ़कर एक संगीत तथा आकर्षक झांकियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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