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झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में 15 वर्षीय अजय की गई बांयी हाथ

सफल ऑपरेशन कर मगध सम्राट हॉस्पिटल के सर्जन ने बचाई जान…

सरायकेला। कहते हैं कि नीम हकीम खतरे जान। यही कहावत आजकल जिले में कुकुरमुत्ता की तरह पनप रहे झोलाछाप डॉक्टर कर रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग में जिले के विशेष रूप से गांव क्षेत्र में सक्रिय झोलाछाप डॉक्टरों के मामले में पूरी तरह से संजीदा बना हुआ है। और अब तक चिन्हित किए गए तकरीबन 20 झोलाछाप डॉक्टरों को स्वास्थ्य विभाग नोटिस भेज चुका है।

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परंतु इनके कारनामे भी थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। कुछ ऐसा ही वाकया बीते दिनों कोलाबीरा पंचायत के बीरबांस गांव में सामने आया है। जहां लगभग 20 दिन पहले अपने साथियों के साथ खेलने के दौरान गांव के 15 वर्षीय बालक अजय सिंह सरदार का बांया हाथ टूट गया।

जिसके बाद अजय के पिता सीताराम सिंह सरदार ने एक झोलाछाप डॉक्टर से उसका इलाज कराया। जिसमें झोलाछाप डॉक्टर ने इलाज करते हुए परंपरागत तरीके से बांस के करची से अजय के टूटे हाथ को बांध दिया। जिससे रक्त संचार रुकने के कारण अजय का बाया हाथ काला पड़ने लगा।

बेटे के असहनीय दर्द देखते हुए अजय के पिता सीताराम सिंह सरदार ने रांची और जमशेदपुर के दर्जनों अस्पताल और नर्सिंग होम में अपने पुत्र के लिए जिंदगी मांगी। परंतु क्रिटिकल स्टेज को देखते हुए सभी ने इलाज करने से इनकार कर दिया।

थककर एक आशा के साथ सीताराम अपने बेटे को लेकर मगध सम्राट हॉस्पिटल पहुंचे। जहां हॉस्पिटल के संचालक डॉ ज्योति कुमार की उपस्थिति में हॉस्पिटल के सर्जन डॉ सूरज कुमार मुर्मू ने सफल ऑपरेशन कर अजय की जान बचाई। जिसमें अजय के बाएं हाथ को काटना पड़ा। उन्होंने बताया कि सामान्य से मामले को झोलाछाप डॉक्टर ने क्रिटिकल बनाकर अजय को पूरी जिंदगी दिव्यांग बनकर  जीने के लिए मजबूर कर दिया।

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