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झारखण्ड में फिर उठा सवाल :

आखिर झारखंड अलग हुआ किनके बदौलत, आज सदन से

सड़क तक उन्हीं का विरोध गलत है … एकता विकास मंच

झारखंड अलग हुआ उन्हें स्थानीयता ,नियोजन और भाषा का अधिकार से बेदखल क्यों ?

सरायकेला – स्थानीयता ,नियोजन और भाषा का अधिकार को लेकर एकता मंच सैकड़ों समर्थक सड़क पर जुटे सरकार का विरूद्ध प्रर्दशन किया । सड़कों पर गुंजी कई सवाल, जिन सांसदों, विधायकों नेताओं द्वारा स्वार्थ पूर्ण राजनीति के लिए स्थानीयता, नियोजन ,और भाषा का विरोध किया जा रहा है । एकता मंच प्रर्दशन करते हुये पुछ रहा है कि झारखंड अलग होने के समय भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका सहित सभी भाषाओं की निवास करने वाले लोगों की जनसंख्या दिखाकर झारखंड अलग राज्य का दर्जा दिया गया । तो इन भाषा- भाषी लोगों के प्रति विरोध और दोहरे चरित्र क्यों ? अगर इन भाषा-भाषी लोगों की जनसंख्या दिखाई नही जाती तो झारखंड अलग नहीं होता। झारखंड अलग करने के लिए निवास करने वाले सभी लोगों के जाति धर्म प्रांत के लोगों की जनसंख्या दिखाई गई तो फिर अधिकार देने के लिए विवाद क्यों किया जा रहा है?

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झारखंड गठन के समय से ही बाहरी भीतरी कि मुद्दे पर स्वार्थ पूर्ण नेताओं द्वारा राजनीतिक कर आपस में सौहार्दपूर्ण माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है। जाति,पार्टी,भाषा के नाम पर लोगों में विभेद पैदा किया जा रहा है। वही एकता विकास मंच के केंद्रीय अध्यक्ष ए के मिश्रा ने माननीय मुख्यमंत्री,सभी मंत्री ,सांसदों, विधायकों नेताओं से मांग है कि वे विकास के मुद्दे पर राजनीति करें, ना कि वह जाति पार्टी भाषा के नाम पर राजनीति कर आपस में सौहार्द पूर्ण वातावरण में रह-रहे लोगों को एक दूसरे के प्रति नफरत ना फैलाए।

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