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पूरी तरह से रद्द हो सीजीएल परीक्षा: कुणाल दास…

सरायकेला संजय मिश्रा: प्रश्नपत्र लीक होने का मामला सामने आने के बाद जेएसएससी द्वारा झारखण्ड सामान्य स्नातक योग्यताधारी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2023 के पेपर थ्री को रद्द कर दिए जाने के बाद अब विभिन्न छात्र संगठनों द्वारा पूरी परीक्षा को ही रद्द करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस संदर्भ में पारा शिक्षक-गैर पारा जेटेट सफल अभ्यर्थी संघ झारखण्ड प्रदेश के अध्यक्ष कुणाल दास ने कहा कि राज्य में अफसरशाही पर नकेल कसने में राज्य सरकार नाकाम रही है।

जिस प्रकार से सीजीएल परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने का मामला सामने आया है, कहना ग़लत नहीं होगा कि राज्य में कहने को तो स्थानीय सरकार है लेकिन सिस्टम की नकेल अभी भी बाहरियों के हाथों में है। सीजीएल परीक्षा में धांधली का मामला उजागर होने के बाद स्टूडेंट्स बौखलाए हुए हैं। एक तो वर्तमान हेमंत सरकार ने बतोलेबाजी में ही चार साल गुजार दिए। ऊपर से एक नियुक्ति आई भी तो धांधली का शिकार हो गयी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सीजीएल परीक्षा के पेपर वन और टू में भी धांधली होने की बू आ रही है। ऐसे में झारखण्डी छात्रों के हित में पूरी परीक्षा ही रद्द कर नये सिरे से परीक्षा का आयोजन होना चाहिए। साथ ही धांधली में संलिप्त अधिकारियों पर कठोरत्तम कार्रवाई होनी चाहिए।

श्री दास ने कहा कि मुख्यमंत्री ने हर मंच पर जुमले फेंक-फेंककर चार साल तक झारखण्डी यूथ को बहलाकर रखा। वे हर जगह कोरोनाकाल का रोना रोकर अपनी अकर्मण्यता को ढंकने की कोशिश करते हैं जबकि कोरोना का प्रकोप पूरे देश भर में था। उन्हें मालूम होना चाहिए कि अन्य राज्य निर्बाध रूप से नियुक्तियां कर रहे हैं और यहां बहानेबाजी के सहारे कार्यकाल पूरा करने में जुटी है सरकार। ये सब नहीं चलेगा अब। मुख्यमंत्री को ज़वाब देना चाहिए कि सात सालों से इंतज़ार कर रहे छात्रों का बिना अवसर मिले ढलती उम्र का जिम्मेदार कौन है। इतने इंतज़ार के बाद भी जब सीजीएल परीक्षा आयोजित हुई तो सूबे के ग़रीब छात्र उधार लेकर या धान तक बेचकर परीक्षा लिखने दूरदराज़ के केंद्रों में गये थे।

उनकी आर्थिक और मानसिक क्षति की भरपाई हेमंत सरकार किस प्रकार से करेगी। उन्होंने स्थानीय नीति और नियोजन नीति पर भी हेमंत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि चार सालों में सरकार एक अदद स्थानीय और नियोजन नीति तक नहीं बना पाई। यही वजह है कि दूसरे राज्यों के स्टूडेंट्स हमारा हक़ छीन रहे हैं और माटी की सरकार होने का ढोंग कर हेमंत सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। युवा सरकार बना सकते हैं तो उसे उखाड़ कर फेंक भी सकते हैं। समय रहते हेमंत सरकार चेत जाए अन्यथा आने वाले चुनाव में निश्चित रूप से बेरोजगार झारखण्डी युवाओं का गुस्सा उन पर फूटेगा। सीजीएल की परीक्षा पूरी तरह रद्द कर नये सिरे से परीक्षा हो और दोषी अफसरों को ऐसी सज़ा दी जाए कि ताउम्र याद रखें। अगर तत्काल सरकार इस पर ठोस कदम नहीं उठाती है तो पूरे राज्य भर में छात्र उग्र आंदोलन करेंगे।

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