लहलहाती आग में चलकर व हुक के सहारे झुलकर दिया आस्था का परिचय…
चांडिल (विद्युत महतो) चांडिल अनुमंडल के ईचागढ़ क्षेत्र में चड़क पुजा कर बंगला का पइला बैशाख पर नव वर्ष का जमकर स्वागत करने का प्रचलन आदि काल से अब तक किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में पइला बैशाख का स्वागत में छौऊ नाच ,डांस धमाका आदि का आयोजन शुक्रवार को रात भर जगह जगह किया गया। वहीं ईचागढ़ के लाबा गांव में शनिवार की सुबह आस्था का अजब दृश्य देखने को मिला। लहलहाती आग पर चलकर भगवान के प्रति आस्था व्यक्त किया गया।
गांव की बुटन ग्वालिन लहलहाती आग में चलकर लोगों को आश्चर्य चकित कर दिया। वहीं पाट भक्ताओं ने अपने पीठ पर लोहे के कील घोंपकर लकड़ी से बने बिशेष तरह के घुंटे से करीब 40 फीट ऊंची आसमान पर घुमाया गया। अंगारों व लहलहाती आग पर चलने के बाद भी कही न जलता है और न ही फोकला ही होता है। वहीं पीठ पर लोहे के अंकुश घोंपने के बाद भी न टिटनेस का सुई लेने का जरूरत पड़ता है और न ही किसी दवा मरहम की जरूरत है। कुछ दिनों में घाव ठीक हो जाता है। सामान्यतः लोग सुई व लोहे का कील चुभने पर टिटनेस का सुई लेते हैं, लेकिन यह ईश्वर भक्ति का अद्भुत कारनामा ही है
जो अपने दर्द का एहसास तक नहीं करते। इसे भक्ति कहुं या हठधर्मिता, जो सदियों से लोग इस परम्परा को निभाते आ रहे हैं। भक्ता दिनेश उरांव ने बताया कि गुरूमाता बुटन ग्वालिन लहलहाती आग में चली और भक्ता को खुंटे पर पीठ में खंजर भोंक कर आसमान में घुमाया गया। मौके पर जिप प्रतिनिधि सह मुखिया नयन सिंह मुण्डा, रामेश्वर उरांव, बांग गोप, चंदन, गोवर्धन गोप, सुकराम महतो, दिनेश उरांव,हरेकृष्ण दास, गणपति उरांव, हेमसिंह,शंकर सिंह मुण्डा आदि उपस्थित थे ।