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पोस्ट मास्टर पत्नी की जगह पति संभाल रहे थे पोस्ट ऑफिस

अपने ही पैसे के लिए उपभोक्ता सरस्वती ने न्यायालय से लगाई गुहार, स्थाई लोक अदालत ने पीड़िता को दिया न्याय……

वनांचल 24 टीभी लाइव हमेश गांव की खबर और भष्ट्राचार का अलग-अलग रूप दिखते रहे है । किसी ने खूब कहा है कि गरिबों न्याय नही मिलती है । आज दैनिक मजदूरी करने वाली सरस्वती की महेनत की गाढ़ी कमाई स्थाई लोक अदालत ने वापस करवार्इ्र ।

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Sanjay  (सरायकेला) सरायकेला-खरसावां जिले के नीमडीह पोस्ट ऑफिस की पोस्ट मास्टर लखीमनी देवी की जगह उनके पति मोहित कुमार सेन उनके पोस्ट मास्टर का पद संभाल रहे थे। एक शिकायत पर मामले का खुलासा होने पर स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन राकेश मिश्रा ने इस पर कड़ी फटकार लगाई। और स्थाई लोक अदालत से न्याय की गुहार लगाने पहुंची गरीब पीड़िता सरस्वती महतो को न्याय दिलाये। हालांकि पोस्ट ऑफिस नीमडीह के अमानवीय भरे पूरे मामले में पीड़िता सरस्वती महतो तब तक अपनी बड़ी दीदी को खो चुकी थी।

जाने सरस्वती महतो के दर्द भरे इस सफर को  :-
नीमडीह की रहने वाली बेहद ही गरीब सरस्वती महतो मजदूरी करके अपने परिवार का गुजारा करती हैं। इसी क्रम में कुछ एक पैसे जोड़कर सरस्वती ने नीमडीह पोस्ट ऑफिस में सेविंग अकाउंट खुला कर पैसा जमा किए। जो ब्याज सहित तकरीबन ₹65680 था। इस दौरान सरस्वती की बड़ी दीदी गंभीर रूप से बीमार हुई। जिसके इलाज के लिए सरस्वती ने पोस्ट ऑफिस को उसके पैसे देने का आग्रह किया। परंतु नीमडीह पोस्ट ऑफिस के तथाकथित घालमेल में कहा गया कि वर्तमान में उसे ₹37089 ही दिया जा सकता है। बाकी पैसे अगले मार्च महीने में मिलेगा। इस दौरान जवाब देने पर सरस्वती को धमकाया भी गया। इस दौरान इलाज के अभाव में सरस्वती की बीमार बड़ी दीदी भी मर गई। जिस पर परेशान सरस्वती ने बीते 8 जून को स्थाई लोक अदालत में आवेदन देकर गुहार लगाई। मामले पर स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन राकेश मिश्रा ने सुनवाई करते हुए सरस्वती के सभी जमा पूंजी ब्याज के साथ लौटाने के निर्देश पोस्ट ऑफिस को दिए।

स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन ने की अपील :-

स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन राकेश मिश्रा ने स्थाई लोक अदालत के सदस्य माधुरी दत्ता और मालती लागूरी की उपस्थिति में आमजन से अपील की है कि स्थाई लोक अदालत सुलहनीय समस्याओं के निराकरण के लिए बेहतर अवसर है। जहां जरूरतमंद गरीब व्यक्ति सुलभ और त्वरित न्याय प्राप्त कर सकते हैं। इसमें कोई कोर्ट फी नहीं लगता है। और ना ही किसी अधिवक्ता की आवश्यकता होती है। इसलिए जरूरतमंद गरीब व्यक्ति इसका लाभ ले सकते हैं।

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