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साढ़े तीन सालों के इंतजार के बाद दंपत्ति की सुनी गोद भरी,तीन माह के बच्चे को बांकुड़ा के दंपत्ति को दिया गया गोद…

27 सितम्बर को सीडब्ल्यूसी ने बालक को किया था लीगली फ्री,2018 से अबतक दुमका से दिया गया यह 20वां एडोप्सन है…

दुमका:मौसम गुप्ता

दुमका। पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिला के दंपत्ति को की सुनी गोद बुधवार को भर गयी। लगभग तीन माह के बालक को गोद में लेकर उसकी मां बेहद खुश थी। बाल कल्याण समिति ने बच्चे के जन्म के बाद अस्पताल से उसे डिस्चार्ज करने के दो माह के अंदर रेकार्ड समय में 27.09.2023 को इस बाल को एडोप्सन के लिए कानूनी रूप से मुक्त (लीगली फ्री) घोषित कर दिया था। बालक के जन्म के बाद उसकी मां ने समिति के समक्ष उसे सरेंडर कर दिया था।

किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत सारी प्रक्रियाएं पूरी करने और 60 दिनों के रिकंसिडरेशन अवधि के पूरा होने के बाद इस बच्चे को बाल कल्याण समिति दुमका के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के द्वारा लीगली फ्री किये जाने के बाद कारा के प्रक्रिया के तहत इस बालक को बांकुड़ा के दंपत्ति को गोद दे दिया गया। बांकुड़ा के फर्नीचर का व्यवसायी ने बताया कि उनकी शादी 2017 में हुई थी पर जल्द ही उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी कभी मां नहीं बन सकती है।

तीन साल सात माह पहले उन्होंने बच्चा गोद लेने के लिए कारा के वेबसाइट पर अपना निबंधन करवाया था। बालक के गोद मिलने पर वह और उनका संयुक्त परिवार काफी खुश है। श्री अमड़ा में संचालित दत्तक ग्रहण संस्थान (एसएए) में बुधवार को बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र, डॉ संजय कुमार दास, एसएए के प्रभारी तारिक अनवर, सामाजिक कार्यकर्ता वहीदा खातून ने इस दंपत्ति के गोद में बच्चे को सौंप दिया। अभी उन्हें यह बच्चा प्री एडोप्सन फोस्टर केयर में दिया गया है और डीएम/एसएए के आदेशों का अक्षरशः पालन करने का निर्देश दिया गया है।

गोद देने की प्रक्रिया के साथ ही नये नाम के साथ इस बच्चे का पुर्नजन्म हो गया है। उसे गोद लेनेवाले माता पिता से उसे वे सभी कानूनी अधिकार मिलेंगे जैसे किसी बच्चे को उसके जैविक माता-पिता से मिलते हैं। 2018 से अबतक दुमका से दिया गया यह 20वां एडोप्सन है।

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