ISRO ने चंद्रयान-2 की गलतियों से सीखा, चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग में सॉफ्टवेयर एल्गोरिद्म की अहम भूमिका: प्रोफेसर राधाकांत पाधी
राँची । “अंतरिक्ष कार्यक्रमों में इसरो निरंतर आगे बढ़ रहा है और इस दिशा में हमने अपनी पुरानी गलतियों से काफी कुछ सीखा है।” यह बातें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc), बेंगलुरु के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर राधाकांत पाधी ने कही। वे सरला बिरला विश्वविद्यालय में आयोजित एक्सपर्ट टॉक में ‘सेफ लैंडिंग ऑफ चंद्रयान-3’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। अपने व्याख्यान में प्रो. पाधी ने भारत के विभिन्न अंतरिक्ष अभियानों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार चंद्रयान-2 की असफलता से सबक लेकर चंद्रयान-3 के मिशन को अधिक सटीक बनाया गया। उन्होंने एक्यूरेट लैंडिंग में सॉफ्टवेयर एल्गोरिद्म की भूमिका, ऑप्टिमल एल्गोरिद्म के ज़रिए ईंधन की बचत और रॉकेट रिकवरी में इसरो के प्रयासों की भी चर्चा की। उन्होंने चंद्रमा की सतह पर रफ ब्रेकिंग और फाइन ब्रेकिंग तकनीकों के महत्व पर भी प्रकाश डाला और बताया कि कैसे इन पहलुओं को बेहतर बनाकर सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की गई। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सी. जगनाथन ने अंतरिक्ष अभियानों में ऑप्टिमाइजेशन तकनीक की भूमिका पर चर्चा की। विश्वविद्यालय के महानिदेशक प्रो. गोपाल पाठक ने इसरो और IISc, बेंगलुरु के योगदान पर संक्षिप्त जानकारी दी और प्रो. पाधी को उनके उपयोगी वक्तव्य के लिए धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नित्या गर्ग ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकगण और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति बिजय कुमार दलान और राज्यसभा सांसद डॉ. प्रदीप कुमार वर्मा ने इस आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे ज्ञानवर्धक बताया।
