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पत्थर खनन का काला खेल चल रहा है माफिओं और पदाधिकारी के बीच सांठगांठ, अवैध कारोवारी लुट रहे लीज से अधिक जमीन पर खनन कर के, पदाधिकारी संबंध में जबाव देने से कतरा रहें है…..

पाकुड़ (संथाल ब्यूरो) राज्य में अवैध खनन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. एनजीटी समेत राज्य सरकार की ओर से नकेल कसने के बाद भी अवैध खनन जारी है. जहां लीज धारक स्वीकृत जमीन से अधिक क्षेत्र में अवैध पत्थर खनन करता है. इस संबध में एक पत्र उपायुक्त पाकुड़ और खान विभाग को भी पत्र लिखा गया है. जिसमें बताया गया है कि सुदंरपहाड़ी क्षेत्र में अली रजा और पिंकु शेख नामक लीज धारियों को क्रमशः 4.29 एकड़ और 4.72 एकड़ दिया गया. लेकिन लीज दी गयी जमीन से अधिक क्षेत्र में लीज धारियों की ओर से खनन किया गया. पत्र में दावा किया गया है कि उक्त लीज धारियों को जनवरी 2020 में लीज दिया गया. लेकिन पिछले दो सालों में आवंटित क्षेत्र से अधिक क्षेत्र में अवैध खनन किया गया है. अवैध खनन का क्षेत्र लगभग नौ एकड़ अतिरिक्त बताया गया है.

गलत रिपोर्ट बनाने का दावा:

पत्र सुरेश अग्रवाल की ओर से लिखा गया है. जिसमें बताया गया है कि मामले की जानकारी होने पर स्थानीय दबाव के बाद अचंल अधिकारी की ओर से जांच की गयी. जांच में बताया गया कि अवैध खनन क्षेत्र में हुआ है. लेकिन यहां लीज धारक अली रजा और पिंकु शेख के नामों का उल्लेख नहीं किया. अचंल अधिकारी की ओर से बने रिपोर्ट में बताया गया है कि लीज धारक ने वर्तमान में स्वीकृत खनन पट्टा क्षेत्र अंतर्गत पत्थर उत्खनन का कार्य किया जा रहा है. स्वीकृत खनन पट्टा क्षेत्र से सटे दाग संख्या 08 से 20 और 23 से 27 पर अन्य दागों की भूमि पर भी अवैध रूप से पत्थर उत्खनन का कार्य किया गया है. लेकिन स्वीकृत खनन पट्टा क्षेत्र के अतिरिक्त अन्यान्य दागों की भूमि पर पट्टाधारियों के द्वारा पत्थर उत्खनन का कार्य किया गया है अथवा किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा पूर्व में अवैध रूप से पत्थर का उत्खनन किया गया है, इसकी पुष्टि स्थानीय जांच और पुछताछ से नही हुई. उपायुक्त और खनन विभाग को लिखें पत्र में मामले की फिर से जांच कराने की बात की गयी है.

इस मामले को लेकर उपायुक्त पाकुड़ से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया ।परंतु उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किए जाने पर वार्ता नहीं हो पाई। वहीं जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ से दूरभाष पर संपर्क करने पर फोन रिसीव नहीं करने के कारण मामले की जानकारी नहीं हो पाई।बरहाल ,यह एक गंभीर जांच का विषय है? इसकी निष्पक्ष जांच होने के उपरांत ही मामले का सही उद्भेदन हो सकता है।

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