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बादशाहत का सिंहासन खाली करो, हम आ रहे हैं…

वनडे क्रिकेट का बादशाह अब बदलने वाला हैं…

रामगढ़: इन्द्रजीत कुमार

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बादशाहत का सिंहासन खाली करो, हम आ रहे हैं। सात में से सात औंर सातवें आसमान पर टीम इंडिया। अंक तालिका में टॉप पर टीम इंडिया औंर सेमीफाइनल का टिकट पक्का। वनडे क्रिकेट विश्व कप में विजय रथ पर सवार रोहित शर्मा एंड टीम ने श्रीलंका के खिलाफ जीत का सत्ता इस अंदाज में लगाया गया। मानों कि विरोधी टीमों से कह रहे हों यहां के हम सिकंदर। टीम इंडिया का हर खिलाड़ी मैदान पर बल्ले औंर गेंद से एकदम फिट औंर सुपरहिट। पाकिस्तान हो या फिर श्रीलंका, भारतीय खिलाड़ी घरेलू मैदानों पर जिस अंदाज में अपने प्रदर्शन से आग उगल रहे हैं।

वो बताते हैं कि अगर क्रिकेट महाकुंभ में ये सिलसिला आगे भी जारी रहा हैं। बादशाहत अब दूर नहीं। वानखेेड़े स्टेडियम में कल जिस तरह से टीम इंडिया ने श्रीलंका के परखचे उड़ाये हैं। उससे आहट सुनाई देने लगी हैं कि वनडे क्रिकेट का बादशाह अब बदलने वाला हैं। 12 वर्षों के पश्चात बादशाहत का ताज भारत के सिर सजने की करोड़ों भारतीयों की उम्मीदें बल्लियों उछलने लगी हैं। वैसे क्रिकेट की दुनिया थोड़ी अलग हैं। अनिश्चितताओं से भरी हुई हैं। यहां कुछ भी तय नहीं हैं। कोई कभी अर्श पर तो कभी फर्श पर। साल दर साल क्रिकेट की संसार की बादशाहत का बैटन भी एक देश से दूसरे देश के हाथों में जाता दिखा गया।

मिसाल के तौर पर मौजूदा वनडे विश्व कप को ही देख लीजिए। चार साल पहले इंग्लैंड 50 ओवर के क्रिकेट महाकुंभ में अपने घरेलू मैदानों पर न्यूजीलैंड को हरा कर पहली बार चैंपियन बना। चार साल बाद भी उसे खिताब जीतने की दौड़ में फेवरिट आंका जा रहा था। लेकिन मैदान पर जो चित्रों अब तक दिखी गई। उसी पर किसी को यकीन ही नहीं हो रहा हैं। वहीं दूसरी ओर चित्र बिल्कुल भी 360 डिग्री उलट चुकी हैं। भारतीय मैदानों पर मौजूदा चैंपियन चारों खाने चित दिख रहा हैं। वनडे विश्व कप टूर्नामेंट में एक दूसरे से जोर आजमाइश कर रही हैं। 10 टीमों के बीच अंक तालिका में इंग्लैंड आखिरी पायदान पर हैं। टूर्नामेंट में अब तक खेले छह मैचों में से इंग्लैंड को पांच में हार का सामना करना पड़ा हैं। उसे जो इकलौती जीत मिली हैं। वो भी बांग्लादेश जैसी कमजोर टीम के खिलाफ।

इंग्लैंड के खिलाड़ी और फैन परेशान औंर संसार हैरान-परेशान हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि क्रिकेट का जन्मदाता देश कमजोर समझी जाने वाली आयरलैंड, श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसी टीम से भी फिसड्डी साबित हो रही हैं। अब न सिर्फ विश्व कप से इंग्लैंड की विदाई करीब करीब तय हैं बल्कि उसके 2025 चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट से बाहर होने का खतरा मंडराने लगने लगा हैं। इंग्लैंड पर तलवार इसलिए लटक रही हैं। चैंपियंस ट्रॉफी में कुल आठ टीमें मैदान पर जोर आजमाइश करेगी। इनमें से सात टॉप टीमें होगी।

जबकि आठवीं टीम मेजबान पाकिस्तान की होगी। वैसे 146 साल पुरानी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दुनिया में बड़ी-बड़ी टीमों की बादशाहत के यों चकनाचूर होने की ये कहानी नई नहीं हैं। 19वीं सदी में इंग्लैंड के मैदानों से शुरू हुई। गेंद औंर बल्ले की इस जंग की कहानी वर्ष दर बदलती रही हैं। आगे बढ़ती रही हैं। ये वो समय था। जब पुरे संसारभर में फैले ब्रिटिश साम्राज्य के बारे में कहा जाता था कि उसका सूरज कभी नहीं डूबता। जिस देश में अंग्रेज गए। वहां के लोगों को उन्होंने क्रिकेट के खेल का सबक सिखा ही दिया गया।

भारत से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक औंर कैरिबियाई द्वीपों से ऑस्ट्रेलिया तक जल्द ही क्रिकेट अपनी पैठ बना चुका था। इंग्लैंड में खेल अलग-अलग फॉर्मेट में दिवानगी भी चढ़ा। इंग्लैंड की टीम अपने ही बनाए खेल में ही पिछड़ती दिखी गई। वनडे क्रिकेट में तो बादशाह का तमगा हासिल करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा हैं। वैसे एक दौर ऐसा आया। जब क्रिकेट की संसार में सिर्फ एक ही टीम की तूती बोलती थी। ये थी वेस्टइंडीज की टीम। तेज गेंदबाजी में ऐसी खौफनाक धार कि उसके सामने बड़े से बड़े बल्लेबाज की टांगें कांपने लगती थी। सन 1970 ईस्वी के दशक में फैब फोर के नाम से मशहूर एंडी रॉबर्ट्स, माइकल होल्डिंग, जोएल गार्नर और मैलकॉम मार्शल की पेस चौकड़ी ने मैच दर मैच मैदान पर नई इबारतें लिखी गई। हम अगर बातें बल्लेबाजी की करें।

टीम में एक से एक सूरमा बल्लेबाज मौजूद थे। चाहे वो क्लाइव लॉयड हो, विवियन रिचर्ड्स हों या फिर गॉर्डन ग्रीनिज और डेसमंड हेंस। यही वजह रही हैं कि सन 1975 ईस्वी औंर सन 1979 ईस्वी तक इंग्लैंड की जमीन पर हुए। पहले दो वनडे विश्व कप टूर्नामेंट में क्लाइव लॉयड की कप्तानी में खिताब वेस्टइंडीज के नाम रहा हैं। उसके इस गुरूर को भारतीय टीम ने सन 1983 ईस्वी में वनडे विश्व कप जीतकर तोड़ा गया। अब तो आलम ये हैं कि वेस्टइंडीज क्रिकेट अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा हैं। दो बार का वनडे विश्व कप चैंपियन तो 2023 विश्व कप के लिए क्वॉलीफाई भी नहीं कर पाया गया। आयरलैंड औंर अफगानिस्तान जैसी टीमें भी अब वेस्टइंडीज को बार-बार आंखें दिखा रही हैं। वेस्टइंडीज क्रिकेट का भविष्य तो फिलहाल अंधकार में ही दिख रहा हैं।

क्रिकेट की संसार में प्रारंभ से जो नाम इस खेल की शुरूआत से चमका वो ऑस्ट्रेलिया का था। सर डॉन ब्रेडमैन से लेकर एलन बॉर्डर तक औंर स्टीव वॉ से लेकर रिकी पॉन्टिंग औंर स्टीव स्मिथ तक। हर खिलाड़ी की अपनी अलग पहचान, अलग सम्मान, अलग रिकॉर्ड और अलग अंदाज। कंगारूओं के आक्रामक तेवरों के सामने संसार भर की टीमें नतमस्तक दिखी गई। जीत के लिए उनसे जूझती दिखी गई। लेकिन आखिरकार उन्हें हार ही माननी पड़ी।

टेस्ट क्रिकेट हो या वनडे क्रिकेट और टी20 क्रिकेट, ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत के सामने बाकी टीमों ने लंबे वक्त तक सरेंडर किया गया। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने सन 1987 ईस्वी में पहली बार विश्व कप खिताब जीता गया। जबकि पांचवीं और आखिरी बार उसने 2015 में विश्व चैंपियन का रूतबा हासिल किया गया। आपने अक्सर सुना ही होगा कि समय एक सा नहीं रहता हैं। बदलाव ऑस्ट्रेलियाई टीम के रुतबे में भी आया। उसे कभी भारत, कभी न्यूजीलैंड तो कभी इंग्लैंड औंर दूसरी टीमें चुनौती देती दिखी गई। विश्व कप में उसे हॉट फेवरिट माना जा रहा था। लेकिन टीम अपने रूतबे के हिसाब से शुरूआती मैचों में लड़खड़ाती दिखी गई।

भारत औंर दक्षिण अफ्रीका के सामने उसने घुटने टेक दिए गए। हालांकि अब टूर्नामेंट में वो लय पकड़ चुकी हैं। इसके बावजूद सेमीफाइनल के लिए उसकी मशक्कत जारी हैं। वैसे क्रिकेट की दुनिया चलाने की बात हो या मैदान पर चैंपियन की तरह खेलने की बात हो, भारतीय टीम की कोई सानी नहीं हैं। बीसीसीआई अगर दुनिया के सबसे अमीर स्पोर्ट्स बॉडीज में शामिल हैं। उसकी कारण भारतीय क्रिकेटरों का दमदार प्रदर्शन औंर मैदान के बाहर उनका रूतबा हैं। सन 1983 ईस्वी विश्व कप में इंग्लैंड के मैदानों पर कपिल देव के डेयरडेविल्स ने इतिहास को बदलने की जो शुरूआत की गई थी। वो कारवां अब काफी आगे बढ़ चुका हैं। 2011 में धोनी की कप्तानी में टीम ने दोबारा वनडे विश्व कप जीता।

मैदान पर खुद को चैंपियन साबित करने का हुनर भारतीय खिलाड़ी बखूबी सीख चुके हैं। पुरे संसार भर की टीमों को उनके घरेलू मैदानों पर पीटने की हो या ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों के आक्रामक तेवरों के जवाब उनकी आंखों में आंखें डालकर देने की हो, भारतीय खिलाड़ी हिचकिचाते नहीं हैं। इसका असर उनके दमदार प्रदर्शन पर भी साफ तौर से देखा जा सकता हैं। भारतीय टीम लंबे समय से कोई आईसीसी ट्रॉफी न जीत पाई हो। उसकी काबिलियत पर शायद ही किसी को शंक हो।

विश्व कप में भी मैदान पर 11 खिलाड़ी नहीं बल्कि एक टीम नजर आ रही हैं। तीसरी बार वनडे विश्व कप खिताब जीतने की बेताबी हर खिलाड़ी में साफ तौर पर दिख रही हैं । टीम विश्व विजेता बनने से बस दो कदम की दूरी पर खड़ी हैं। बल्लेबाजी हो, गेंदबाजी हो या फिर फील्डिंग, हर डिपार्टमेंट में टीम का परफेक्ट टच नजर आ रहा हैं। क्रिकेट पंडित भी अब चैंपियन के तौर पर टीम इंडिया का नाम रटने लगे हैं। नीली जर्सी पहने रोहित शर्मा के मतवाले टूर्नामेंट में मैच दर मैच अपने अंदाज में कह रहे हैं। बादशाहत का सिंहासन खाली करो, हम आ रहे हैं।

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