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22 वर्ष कितना विकास ?,  पोल खोल रही है आदिवासी बहुल्य गांव हेंसल …..

नेता घर-घर आतें हैं और आम नागरिकों को हवाई

उड़ान की सपना दिखातें हैं चुनाव के बाद जीते हुए

प्रतिनिधि के हवाई चप्पल भी नजर नहीं आता है…..

नामकुम (अर्जुन कुमार) अनगड़ा देश को आजाद हुए कई दशक बीत गए लेकिन झारखंड के राँची जिले का हेसल ज़ारा गांव अब भी पक्के रास्ता जैसे बुनियादी सुविधा का इंतजार कर रहा है. चुनाव में वादे किए जाने के बाद भी तस्वीर बदहाल गांव में पक्की सड़क तक मौजूद नहीं है

झारखंड के अलग राज्य बने भी दो दशक से अधिक वक्त बीत गया लेकिन गांव की न तो तस्वीर बदली और न ही यहां बसे लोगों की तकदीर. बिहार से अलग होकर वर्ष 2000 में झारखंड राज्य बना तो गांव में बसे उरांव महली करमाली एवं अन्य आदिवासी समुदाय के लोगों ने सोचा था कि अब इलाके का तेजी से विकास होगा. लेकिन उनका ये सपना सपना ही रह गया, हकीकत में तब्दील नहीं हो सका. राँची जिले के अनगड़ा ब्लॉक के हेसल पंचायत के तहत आने वाले हेसल ज़ारा गांव के सड़क जैसी बुनियादी सुविधा के अभाव में जीना पड़ रहा है. इस रास्ते से प्रतिदिन हजारों लोगों का आवागमन होता है बरसात की हल्की बारिस भी सड़क को गीली कर देती है जिससे आवागमन सुलभ नहीं रह जाती ।

विडंबना यह है कि आदिवासियों के तेजी से विकास और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के नाम पर ही अलग झारखंड राज्य के विचार ने जन्म लिया था लेकिन दुर्भाग्य से इन आदिवासियों की दिक्कतों का ही कोई अंत नजर नहीं आता.  ग्रामीण हेसल ज़ारा गांव में करीब 40 से 50 घर हैं । ये छोटा सा गांव राँची पुरुलिया पथ से जुड़ी हुई है । ग्रामीणों ने बताया कि जब चुनाव सामने आता है तो नेता घर घर आतें हैं और आम नागरिकों को हवाई उड़ान की सपना दिखातें हैं चुनाव के बाद जीते हुए प्रतिनिधि के हवाई चप्पल भी नजर नहीं आता है ।

 

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