संदर्भ : बिहार बजट
महिला, पिछड़ा, दलित : सबको साधने की गणित
संजय कुमार विनीत … ✍️
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक
चुनावी बर्ष होने के बावजूद फ्री बिजली और लाडली योजना जैसी कोई स्कीम बजट में शामिल ना कर सरकार ने इस बजट में शिक्षा और महिलाओं के सशक्तिकरण पर खास जोर दिया है। इस बजट में महिला, पिछड़ा, दलित को साधने के गणित के साथ विकास को गतिशीलता प्रदान करने की कोशिश की गई है। इससे सरकार की फ्रीबीज के बदले विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव में उतरने का संकेत मिल रहा है। बिहार में आज 3.17 लाख करोड़ रुपये का बजट उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने पेश किया। यह बजट नीतीश सरकार की चुनाव से पहले का अंतिम बजट है। विपक्षी पार्टियां ने अपनी मांगों को शामिल ना करने का आरोप लगाते हुए इस बजट को निराशाजनक बताया है।
राज्य के विकास के लिए यह बजट इसलिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बजट में शिक्षा के लिए 60 हजार 964 करोड़ रुपये रखे गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के लिए 20 हजार 335 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। गृह विभाग को 17 हजार 831 करोड़ रुपये मिलेंगे। ऊर्जा क्षेत्र के लिए 13 हजार 484 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 1735 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। इस बजट में सड़क, शहरों के विकास, सिंचाई, पर्यटन और खेल जैसे क्षेत्रों के लिए भी अच्छी खासी राशि आवंटित की गई है। इससे राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद मिलेगी। पर्यटन को बढ़ावा देने से रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
बजट पर अगर गौर करें तो 3 लाख 16 हजार 895 करोड़ का यह बजट है, बजट का आकार पिछले वित्तीय वर्ष से 38000 करोड़ रुपये ज्यादा है, पूंजीगत ढांचे में सुधार करना मकसद, वित्तीय ढ़ांचे में सुधार पर जोर, निजी निवेश को प्रोत्साहित करने पर जोर, रोजगारयुक्त निवेश पर सरकार का ध्यान, आय-व्यय के बीच सामंजस्य पर जोर, राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत तक करने की कोशिश, प्रदेश के विकास पर सरकार का जोर के साथ बिहार में केंद्र की मदद से हो रहा विकास को बढाना है।
एनडीए विपक्षियों के आरोप के बीच ये ध्यान देकर चल रही है कि इस बजट से सरकार द्वारा किये गए हर वादे पुरे हो, खासकर इस बजट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के दौरान किए गए वादों को पूरा करने पर जोर दिया गया है। यात्रा के दौरान कई विकास परियोजनाओं की घोषणा की गई थी। बजट में इन परियोजनाओं के लिए धन का प्रावधान किया गया है। इनमें सड़क निर्माण, शहरों का विकास, स्वास्थ्य सेवाएं, सिंचाई, पर्यटन और खेल से जुड़े काम शामिल हैं। सरकार का लक्ष्य इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
अगर बजट पर नजर डाले तो बिहार के खजाने को भी मजबूत करने वाला साबित होगा यह बजट क्योंकि केंद्र सरकार से बिहार को करों में हिस्सेदारी के रूप में लगभग 1 लाख 43 हजार 069 करोड़ रुपये मिलेंगे। साथ ही, लगभग 15 हजार करोड़ रुपये कर्जमुक्त ब्याज के रूप में प्राप्त होंगे। बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए राज्य सरकार GSDP का 0.5 प्रतिशत यानी 4-5 हजार करोड़ रुपये कर्ज के रूप में ले सकेगी। कोसी नहर परियोजना के लिए केंद्र से मिलने वाली राशि अलग से मिलेगी। वर्ष 2024-25 में राज्य का अपना राजस्व कुल राजस्व का 27.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में पूंजीगत खर्च में भी बढ़ोतरी होगी और आय के नए स्रोत विकसित किए जाएंगे।
इस बजट से राज्य में विकास कार्यों को गति मिलने की उम्मीद है। साथ ही, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा। यह बजट बिहार के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। चुनाव से पहले पेश होने वाला यह बजट नीतीश सरकार के लिए एक अहम परीक्षा भी होगा। जनता की नजर इस बात पर होगी कि सरकार अपने वादों को कितना पूरा कर पाती है।
बिहार के इस बजट को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कागजी बजट बताया है, दरअसल वे अपनी मांगों को नहीं माने जाने को लेकर नाराज है। तेजस्वी यादव के कयी मांगों में से एक मां – बहिन योजना है। जिसमें राज्य की गरीब महिलाओं को खाते में 2500₹ सीधे दिये जाने हैं। तेजस्वी यादव चुनाव में इसे मुख्य मुद्दा बनाने वाले हैं और चुनाव में अगर जीत होती है तो देने का वादा भी कर रहे हैं। इसपर बीजेपी के विधायक हरि भूषण ठाकुर भी खुलकर जबाब दिया कि यह बजट 13 करोड़ जनता के हित को ध्यान में रखकर उनके कल्याण के लिए बनाया गया है। इसमें गांव है, गरीब है, महिला है, किसान है, युवा है, बुजुर्ग हैं। सबकी खुशहाली के लिए यह बजट बना है। ठाकुर ने आगे कहा कि मां-बहिन योजना से उनका मतलब है कि उनकी मां सदन में नेता हैं। बहन उनकी संसद में हैं। दो भाई एमएलए हैं। मां-बहिन योजना उनकी अपने परिवार को तुष्ट करने की योजना है। बिहार की जनता जानती है कि हमारा हित किसमें है और दुश्मन कौन है। इसी हिसाब से 2025 में निर्णय भी करेगी।
जनता के निर्णय में तो अभी काफी देर है। बिहार में अक्टूबर- नबंवर के महिने में चुनाव होना है। इस बजट से तो इतना स्पष्ट है कि यह बजट चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं पेश किया गया है। फिलहाल एनडीए बिहार में अपने किये वादों को पुरा करने पर ही ध्यान केंद्रित रखना चाहती है।शायद चुनाव के पहले ऐसी एनडीए की योजना हो, पर प्रधानमंत्री के लाडले मुख्यमंत्री के बजट में लाडली योजना के नहीं होने से चर्चा का बाजार गर्म है।