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नागपुर में फसाद…. संयोग या प्रयोग,औरंगजेब का कब्र बचाने, दंगाइयों ने ढुढे बहाने

संजय कुमार विनीत
(वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक)

नागपुर में हिंदुओं पर टार्गेटेड हमला एक सुनियोजित तरीके से किया गया फसाद ही है, जिसमें औरंगजेब के कब्र को बचाने के लिए दंगाइयों ने एक अफवाह फैला कर दंगे के बहाने ढूढे गये। इस दंगे में तलवार, कुल्हाड़ी समेत अन्य हथियारों से पुलिस बल पर प्रहार और शांत जगह आरएसएस का मुख्यालय, सीएम देवेंद्र फडणवीस का क्षेत्र का चुना जाना वक्फ बिल के विरोध के लिए टेलर का प्रयोग भी कहा जा सकता है। घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और कारवाईयां की जा रही है।

औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद के बीच पहले नागपुर के महाल इलाके में सोमवार शाम दो गुटों में हिंसक झड़प हुई। इस दौरान उपद्रवियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया, पथराव किया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। पत्थरबाजी से 30 से 35 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। फिलहाल हालात नियंत्रण में हैं, एहतियातन कुछ इलाके में कर्फ्यू लगी हुई है।पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए पांच एफआईआर दर्ज कर अब तक 50 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।

दरअसल, कल पूरे महाराष्ट्र में सैकड़ों जगहों पर बजरंग दल का औरंगजेब के कब्र को हटाने के लिए प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण और व्यवस्थित था। औरंगजेब को अपना नायक मानने वाले को यह रास नहीं आया,उन्होंने एक षड्यंत्र की कहानी बनाई और उसके बारे में अफवाह फैलाकर समुदाय को भड़काया। योजना बनाई गई, बाहर से लोगों को बुलाया गया और नागपुर को जलाने की पूरी कोशिश की गई और चुन चुन कर हिन्दूओं के घरों पर हमले किए गए, महिलाओं के अलावा बजरंगदल के कार्यकर्ताओं के घरों में तोड़फोड़ की गयी।

तोडफोड भी ऐसी कि चुन चुन कर घरों पर हमलें, कारों में तोडफोड आगजनी और स्कूटर में आगजनी सिर्फ एक समुदाय के लोगों का। आक्रामकता इतनी कि पुलिस पदाधिकारियों पर जानलेवा हमला। तीन डीसीपी भी इस घटना में घायल हो गयें हैं, जिनमें से एक पर कुल्हाड़ी से वार से गहरे जख्म हो गये हैं। महिला पुलिसकर्मी को खासकर निशाना बनाया गया है।छतों से अचानक पत्थरों फेंकें जाने लगे और नंगे तलवार, कुल्हाड़ी, डंडे, सरिया और पेट्रोल बम का इस्तेमाल किया गया। हमले का तरीका बिल्कुल संभल और मोहू जैसा। पत्थरबाजी का तरीका बिल्कुल काश्मीर में की जाने वाली पत्थरबाजी की तरह।

उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कहा है कि जिस गली में 150 से अधिक गाडियां एक खास समुदाय के लोगों की लगाई जाती थी, वह उस वक्त नहीं लगाई गई थी। और दंगाइयों ने स्वास्तिक, देवी देवताओं के फोटो देखकर गाडियों में तोडफोड आगजनी को अंजाम दिया है। इसलिए इस फसाद को टार्गेटेड हमला कहा जा सकता है। घरों में हमले के क्रम में पुजा स्थलों को नुकसान पहुंचाने की भी खबर है।

वक्फ बिल के विरोध में दिल्ली जंतर मंतर पर कार्यक्रम में नेताओं के बोलवचन से भी इसका संबंध होने की बात की जा रही है। वक्फ बोर्ड बिल के विरुद्ध जो भडकाऊ भाषण हुए, इससे एक समुदाय भड़के हुए थे। प्रधानमंत्री मोदी का दौरा नागपुर में प्रस्तावित है। कुछ राजनीतिक विद्ध का मानना है कि यह विरोध सोची समझी साजिश का प्रयोग है। नागपुर को इसके लिए चुना जाना भी एक रणनीति है। खैर अब इसे जिस भी रूप में देखा जाये, पर नागपुर में सैकड़ों सालों के आपसी प्रेम, सौहार्द और भाईचारा को एक झटके में तोड़ दिया गया।

औरंगजेब जो विदेशी आक्रांता था, एक अत्याचारी आक्रांता था और जिसने भारत की संस्कृति, धर्म और उसके मूल्यों को लूटा, भारत की संपत्ति को भी लूटा। भारत के अंदर जहां भी कोई स्मारक है, वो गुलामी का प्रतीक है। हिंदू वादी संगठन का मानना है कि ऐसे प्रतीक चिन्हों को खत्म करना धर्म है, आस्था है। महाराष्ट्र में तो कम से कम कोई भी राजनीतिक दल औरंगजेब की महिमामंडन नहीं करना चाहेगी। यही कारण है कि महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियां औरंगजेब के कब्र को इसलिए रखना चाहती कि इतिहास मिटाना नहीं चाहिए, औरंगजेब की कब्र छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य का प्रतीक है। इधर कतिपय हिंदू वादी संगठन औरंगजेब के कब्र की जगह पर मराठा योद्धाओं की मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मुस्लिम पक्ष की शिकायत पर हिन्‍दू संगठनों के खिलाफ भी एफआईआर करने का आदेश दिया है और एफआईआर दर्ज किया गया है।

नागपुर हिंसा ने महाराष्‍ट्र ही नहीं देश में भी सबको हिलाकर रख दिया। औरंगजेब की कब्र के बाहर प्रदर्शन को लेकर अचानक 200 से 300 लोगों की भीड़ आ धमकी। बताया जा रहा है कि इसी बीच अफवाह फैल गई कि खास समुदाय के पवित्र ग्रंथ के आयतों को जलाया गया है। जबकि हिंदू वादी संगठन दावा कर रहे हैं कि सिर्फ प्रतीकात्मक हरे रंग की चादर जलाई गई है। फिर भी अगर कुछ गलत हुआ था तो शिकायत कर कानूनी कार्रवाई की इंतजार की जानी चाहिए थी। जैसा कि उत्तरप्रदेश में रामायण जलाने के समय देखा गया था। इस तरह की साजिश कर फसाद करने का वो भी रमजान जैसे पाक महीने में कोई जरूरत ही नहीं पडती। हिंदू वादी संगठनों को भी कानूनी कार्रवाई की पहल करनी चाहिए थी, ना कि प्रदर्शन करने की। हलांकि, ये प्रदर्शन पुरे प्रदेश में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई थी।

इतना तो तय है कि 300 बर्षो से शांति- सद्भावना वाले नागपुर में अशांति फैलाने के जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। सीएम फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने इसके संकेत दिये हैं। फिलहाल, अशांति फैलाने वाले मास्टर माइंड की पहचान कर ली गई है। गिरफ्त लोगों में वो शामिल भी है। पुलिस पर जानलेवा हमले और महिला पुलिसकर्मी से बदतमीजी को लेकर पुलिस त्वरित कार्यवाही कर रही है। नागपुर सीएम देवेंद्र फडणवीस का गृह क्षेत्र है। यहाँ आरएसएस के मुख्यालय भी है। प्रधानमंत्री मोदी का दौरा भी 30 मार्च को होने हैं। इसे लेकर पुलिस सख्ती से निपटने में लगी हुई है।

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