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लॉकडाउन ने जीवन जीने की सही राह दिखाई, पढ़ाई के साथ समय का सदोपयोग कर लोगों को

राहुल ने दिखाई राह …….

लॉकडाउन में जहां घरों में दुबकी रही जिंदगानी, वही 23 वर्षीय

राहुल ने बागान तैयार कर फैलाई हरियाली……

(प्योर ऑर्गेनिक खेती कर लहलहाए केले, पपीता एवं सब्जियां)

सरायकेला (SANJAY KUMAR) :  कहते हैं कि आसमान में भी सुराख हो सकता है, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो….. कुछ ऐसा ही वाकया सरायकेला के गेस्ट हाउस स्थित सिंचाई कॉलोनी में रहने वाले 23 वर्षीय राहुल कुमार महतो ने कर दिखाई है। आज एक ओर जहां युवा पीढ़ी कृषि कार्य को लेकर खेतों से दूर भाग रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राहुल कुमार महतो ने अपने ही घर में बागान विकसित कर मिसाल कायम की है।

जो आज के युवा वर्ग के लिए प्रेरणादाई साबित हो सकता है। वह भी लॉकडाउन के समय, जब लोग घरों में रह रहे थे। तब घर के खालीपन को दूर कर राहुल ने फल, फूल एवं सब्जियों से अपनी बगिया सजा डाली। और वही सजी हुई बगिया आज केले के फल एवं छोटे-छोटे पौधों भरे पूरे पपीता के रूप में फलदाई दिख रहा है। जिसे रोजगार नहीं बल्कि अपने घर में उपयोग के साथ-साथ अपने आसपास के पड़ोसियों में बांटकर राहुल पड़ोसी धर्म भी पूरा कर रहे हैं।

देखे संजय कुमार मिश्रा की स्पेशल स्टोरी ……. झारखंड-बिहार की महत्वपूर्ण और छोटी-बड़ी ख़बरों से अपडेट रहने के लिए जुड़े रहें…*vananchal24tvlive.com को SUBSCRIBE करें……*

राहुल कर रहे हैं प्योर ऑर्गेनिक खेती :-

राहुल कुमार महतो एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। जिनके पिता त्रिलोचन महतो एक सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। और माता रंजना महतो एक कुशल ग्रहणी है। राहुल वर्तमान में काशी साहू कॉलेज सरायकेला से स्नातक कला में फाइनल सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहे हैं। राहुल बताते हैं कि पिछले लॉकडाउन के दौरान जिंदगी घरों में कैद सी हो गई थी। जिसके बाद पिताजी के किसानी जिंदगी से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने घर की खाली जमीन पर एक छोटा सा बागान विकसित कर दिया।

जिसमें ऑर्गेनिक तरीके से कच्चे गोबर की खाद का प्रयोग कर केले और पपीता के पौधे लगाए। उन्नत किस्म के केले और पपीता के पौधे लगभग साढ़े चार फीट बढ़ने के बाद फल देने लगे हैं। इसके साथ ही उन्होंने बागान के छोटे से भाग में क्यारी तैयार कर फूलगोभी, बंधागोभी, टमाटर और बैगन की खेती भी कर डाली। जिससे घर की प्रतिदिन की सब्जी की आवश्यकता पूरी हो जाती है। राहुल बताते हैं कि अपने घर की आवश्यकता पूरी करने के साथ-साथ बची सब्जियों और फलों को मोहल्ले में आसपास के पड़ोसियों के बीच बांट देते हैं। जिससे पड़ोसियों के साथ संबंध भी अपनत्व बना हुआ है।

युवा पीढ़ी के लिए है प्रेरणा :-

कहा गया है कि खेतों से आने वाले अनाज पर ही जीवन आश्रित है। जिसके लिए किसानों को ईश्वर स्वरूप अन्नदाता का दर्जा दिया जाता है। परंतु वर्तमान के समय में औद्योगिकरण और शहरीकरण होने से एक ओर जहां खेत सिमटते जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कृषि कार्य में महंगाई और मेहनत तथा परंपरागत खेती को लेकर साथ ही आधुनिकीकरण की चकाचौंध के बीच आज की युवा पीढ़ी खेतों से दूर हो चली है। ऐसे में राहुल द्वारा कृषि कार्य में दिखाई जा रही रुचि आज के युवा वर्ग के लिए प्रेरणा स्रोत कहा जा सकता है।

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