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सात समुंदर पार कर जिले में पहुंच रहे हैं मेहमान प्रवासी पक्षी…

सरायकेला Sanjay : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में प्रवासी पक्षियों का आना शुरु हो गया है। जैसे जैसे सर्दी शुरु होती है वैसे ही प्रवासी पक्षियों का आना भी शुरु हो जाता है। यह विदेशी मेहमान सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल डैम, सीतारामपुर डैम व विभिन्न जलाशयों के पास पांच माह तक रहते हैं। जैसे ही तापमान बढ़ने लगता है वे वापस अपने वतन को लौट जाते हैं। जिले में प्रवासी पक्षी चाईना व साइबेरिया से कई किलोमीटर का सफर तय कर कम ठंडे प्रदेशों में पहुंचते हैं। पक्षियों की सुरक्षा के लिए वन विभाग के गश्ती दल ने गश्ती शुरू कर दी है। फिलहाल डक प्रजाति के पक्षी व कामन कूट प्रवासी पक्षी चांडिल व सीतारामपुर डैम में दिखाई देने लगे हैं।

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वन विभाग ने फिलहाल अभी विदेशी मेहमान की गिनती का सर्वे शुरु नहीं किया है। लेकिन पक्षियों को शिकारियों से कोई नुकसान नहीं पहुंचे इसके लिए गश्ती शुरू करा दी है। नवंबर से मार्च माह तक विदेशी पक्षियां जिले में ठहरते हैं। प्रवासी पक्षी सरायकेला-खरसावां जिले के जलाशयों में चहचहाने लगे हैं। आसपास के इलाकों में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मेहमान साइबेरियन पक्षियों का कलरव और अठखेलियों का विहंगम दृश्य पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। चांडिल डैम के अलावा चौका का पालना डैम, राजनगर के काशीदा डैम, कुचाई के केरकेट्टा डैम में भी ये विदेशी मेहमान पहुंच रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में इन विदेशी प्रवासी साइबेरियन पक्षियों के पहुंचने से यहां के प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लग रहा है। यहां बता दें कि सर्दी बढ़ने के साथ-साथ चांडिल डैम में प्रवासी पक्षियों चहचहाट शुरु हो जाती है। इनमें साईबेरियन गाल्ज, रूडी शैलडक, शॉवलर, कोमन पोचड आदि कई प्रजातियों के पक्षी डैम की सुंदरता को चार चांद लगाते हैं। झारखंड के छोटे-बड़े जलाशयों में 70 हजार से अधिक प्रवासी जलीय पक्षी चार से पांच महीने बिताते हैं। इनमें मंगोलिया, तिब्बत, लद्दाख और चीन से आने वाले पक्षी विंटर विजिटर शामिल हैं। सरायकेला खरसावां के वन विभाग को भी प्रवासी पक्षियों का इंतजार है।

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