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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्षगांठ के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम सह पुरस्कार वितरण समारोह का हुआ आयोजन…

सरायकेला sanjay। सरायकेला के गोपबंधु पाठगार चौक में नेताजी सुभाष चंद्र बोस 125वीं जयंती वर्षगांठ समारोह समिति की ओर से सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जन्मजयंती के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम समारोह का आयोजन किया गया। ज्ञात हो कि विगत 21 जनवरी को सरायकेला के विभिन्न स्कूली बच्चों को लेकर सांस्कृतिक प्रतियोगिता जैसे गायन, निबंध, क्विज, भाषण आदि प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय प्राप्त स्थान बच्चों को कार्यक्रम में प्रशस्ति पत्र एवं मोमेंटो देकर पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य वक्ता नेताजी सुभाष चंद्र बोस 125वीं वर्षगांठ समारोह समिति के सरायकेला-खरसावां जिला सचिव सुशांत सरकार ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी गैर समझौता वादी विचारधारा के नेता थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस तथा गैर समझौता वादी आजादी आंदोलन की धारा से जुड़े हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने न सिर्फ आजादी का सपना देखा वरन सभी प्रकार के शोषण, जुल्म, अत्याचार से मुक्ति के लिए संघर्ष भी किया। जाहिर है कि आज भी हम ऐसी मुक्ति से कोसों दूर है। भारत के मेहनतकश जनता पर गरीबी, महंगाई, अभाव, अशिक्षा व बेरोजगारी की मार दिन प्रतिदिन जारी है। आम आदमी का जीवन कष्टों और तकलीफों की गहरी दलदल में फंसता जा रहा है। साथ ही भारतीय आजादी आंदोलन के गैर समझौता वादी धारा के योद्धाओं की स्मृति को मिटा डालने की प्रयास जारी है। नेताजी के जीवन संघर्ष को भी छोटा करके दिखाया जा रहा है।आज के मौजूदा हालात में नेताजी बोस की प्रासंगिकता को जनता के सामने लाना बहुत ही जरूरी है। इसी मकसद से आज हम ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच, छात्र-युवकों के बीच नेताजी के जीवन संघर्ष व विचार को ले जाने का लगातार कोशिश कर रहे हैं। कार्यक्रम मे विशिष्ट अतिथि के रूप मे वरिष्ठ शिक्षक रंजीत सेन गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता के.पी दुबे, समाजसेवी व वरिष्ठ अधिवक्ता जलेश कवि, छऊ नृत्य कलाकार मलय साहू, वरिष्ठ शिक्षक व नेताजी कमेटी के राज्य कमेटी सदस्य बोकेश्वर महतो व अन्य सैकड़ों छात्र-छात्राएं व अभिभावक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संतोषी महतो ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हराधन महतो, विशेश्वर महतो, स्वेता प्रजापति, एमपी सिंह सरदार, सिद्धांत महतो, रविंद्र महतो आदि का अहम योगदान रहा।

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