सरायकेला ट्रैक्टर एसोसिएशन ने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष किया धरना प्रदर्शन…..
सरायकेला (संजय मिश्रा) सरायकेला ट्रैक्टर एसोसिएशन द्वारा शुक्रवार को उपायुक्त कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया. धरना प्रदर्शन के पूर्व सैकड़ों ट्रैक्टरों में चालक एवं मजदूरों सहित एक आक्रोश रैली एसोसिएशन अध्यक्ष ठाकुर मांझी के नेतृत्व में निकाली गई, जिसमे एसोसिएशन के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य भी शामिल थे.
धरना प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को एक ज्ञापन इनके प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंपा गया. धरना स्थल पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गणेश महाली ने कहा कि राज्य सरकार की अदूरदर्शी नीति के कारण आज किसान, व्यवसायी एवं ट्रैक्टर संचालक तथा मजदूर वर्ग भी परेशान हैं. बालू की कमी सरकार की अदूरदर्शिता के कारण हुई है. बालू घाटों की बंदोबस्ती अगर किसी कारण नहीं किया गया तो उसका वैकल्पिक व्यवस्था भी होना चाहिये. क्षेत्र में रोजगार के लिए सैकड़ों बेरोजगार लोन पर ट्रैक्टर लेकर दो पैसे कमाते हैं. इन्ही के साथ हजारों मजदूर भी जुड़े हुए हैं. बालू के अभाव में हर तरह का निर्माण कार्य ठप हो गया है. ट्रैक्टर संचालकों को लोन की किश्त जमा करना कठिन हो गया है. सरकार को चाहिए कि इनके स्थिति को देखते हुए अभी राहत के तौर पर लोन किश्त जमा करने में छूट दे.
जब क्षेत्र में काम चलेंगे तभी पुनः किश्त का भुगतान करेंगे इसकी व्यवस्था की जाय. उन्होंने यह भी कहा कि बालू को जो स्टॉक है उसे केवल हाइवा द्वारा ही चलाने दिया जाता है ट्रैक्टरों से भी चलने की छूट मिलनी चाहिये. पिछले दिनों जितने बालू जब्त किये गये हैं उसको भी ऑक्शन की व्यवस्था तत्काल की जाय ताकि ट्रैक्टरों को परिवहन काम मिलने के साथ ही क्षेत्र के ठप पड़े निर्माण कार्य भी प्रारम्भ हो सके. विशिष्ट अतिथि भाजपा नेता रमेश हांसदा ने कहा कि ट्रैक्टर संचालकों के समक्ष जो संकट की स्थिति उत्पन्न हुई है इसमें दोष सरकार की है. बालू उठाव की व्यवस्था करने में सरकार दोषी है.
ट्रैक्टर वाले हो या सीधी तौर पर बालू लेने वाले सभी निर्धारित रॉयल्टी देने को तैयार हैं पर व्यवस्था करने में सरकार ही असफल रही है. ट्रैक्टर संचालकों को राहत किस प्रकार मिले यह निर्धारण करना भी सरकार की जिम्मेदारी है. नगरपंचायत उपाध्यक्ष सह भाजपा नेता मनोज चौधरी ने कहा ट्रैक्टर संचालक विगत दो वर्षों से संकटों से गुजर रहे हैं. कभी कोरोना महामारी तो कभी सरकार की बालू को लेकर अनिर्णय की स्थिति का ये शिकार हो रहे हैं.
उन्होंने कहा जब एनजीटी का प्रतिबंध हट जाए तो सरकार बालू को लेकर एक स्पष्ट नीति बनाये. जल जंगल जमीन पर स्वयं का अधिकार बरकरार रखते हुए संबंधित क्षेत्र के ग्राम प्रधान या स्थानीय प्रतिनिधियों के जिम्मे बालू घाटों का संचालन विधिवत नियमों के तहत दिया जाय. अन्य वक्ताओं ने भी अपने अपने विचार रखे.