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छऊ गुरु पद्मश्री पंडित गोपाल प्रसाद दूबे का बेंगलुरु में हुआ अंतिम संस्कार…

सरायकेला : सरायकेला के 65 वर्षीय छऊ गुरु पद्मश्री पंडित गोपाल प्रसाद दूबे का सोमवार की दोपहर करीब 12.35 बजे बेंगलुरु के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया था। शव का अंतिम संस्कार मंगलवार को बेंगलुरु में कर दिया गया। वे कैंसर रोग से पीड़ित थे इधर सरायकेला स्थित निवास में रीति रिवाज शुरु कर दिया गया है। पंडित गोपाल प्रसाद दूबे के निधन से पूरे सरायकेला में शोक की लहर है। मंत्री चंपाई सोरेन, उपायुक्त अरवा राजकमल, एसडीओ ने शोक व्यक्त किया। अनुमंडल पदाधिकारी सरायकेला सह छऊ कला केंद्र सचिव रामकृष्ण कुमार ने शोक संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि पद्मश्री पंडित गोपाल दूबे का निधन से ना केवल छऊ को बल्कि संपूर्ण कला जगत को भारी क्षति पहुंची है। उन्होंने सरायकेला छऊ को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पंडित गोपाल दूबे एक प्रसिद्ध कलाकार गुरु के साथ-साथ छऊ कला के प्रकांड विद्वान थे। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, सीनियर फैलोशिप सहित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित पंडित गोपाल दूबे के निधन से हम सभी मर्माहत हैं। उनके निधन से सरायकेला छऊ में जो शून्यता आई उसे भरना मुश्किल होगा।

राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में स्वर्गीय पंडित गोपाल प्रसाद दुबे को दी गई श्रद्धांजलि:-
पद्मश्री पंडित गोपाल प्रसाद दुबे के निधन को लेकर राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें केंद्र के सचिव सह सरायकेला अनुमंडलाधिकारी राम कृष्ण कुमार, सरायकेला नगर पंचायत उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी, केंद्र के पूर्व निदेशक तपन कुमार पटनायक, सरायकेला प्रखंड विकास पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार, सेवानिवृत्त वरीय अनुदेशक विजय कुमार साहू, वरिष्ठ कलाकार नत्थू महतो, सुशांत कुमार महापात्र, भोला महंती, प्रेम अग्रवाल, सुमित महापात्र सहित अन्य कलाकारों ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए मौन प्रार्थना करते हुए उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी।

दादा शशिभूषण से मिली थी छऊ की प्रेरणा:-
स्व. पंडित गोपाल प्रसाद दूबे के बड़े भाई केपी दूबे ने बताया कि उनके तीसरे नंबर के भाई गोपाल प्रसाद दूबे को दादा शशिभूषण दूबे से छऊ सिखने की प्रेरणा मिली थी। इतना ही नहीं पिता हिमांशु शेखर दूबे पुलिस अधिकारी थे। उन्होंने व घर के सभी सदस्यों ने गोपाल प्रसाद दूबे के छऊ के प्रति रुझान को देखकर उन्हें छऊ के क्षेत्र में आगे बढ़े के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने छऊ की सर्वप्रथम शिक्षा गुरु केदार नाथ साह से ग्रहण की। उसके बाद उसने समर्पण भाव से नृत्य सीखा और देखते ही देखते देश विदेश मे ख्याति प्राप्त करने लगे। उन्होंने कहा कि पांच छह दिन पहले गोपाल प्रसाद ने उनसे मोबाइल पर बाद की। उन्होंने कहा कि उन्हें बात करने में काफी तकलीफ हो रही थी। तबीयत बिगड़ने पर एम्बुलेंस के माध्यम से उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया था। पूर्व में जब अस्पताल में भर्ती किया गया था तो डाक्टरों ने कहा था कि तीन माह में वह ठीक हो जाएंगे। लेकिन अचानक तकलीफ बढ़ने पर जब उन्हें अस्पताल लेकर गए तो वापस वे लौट कर घर नहीं आ सके। गोपाल प्रसाद दूबे का जन्म 25 जून 1957 को बिहार (अब झारखंड) के सरायकेला में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने छऊ का प्रशिक्षण 14 साल की उम्र में देना शुरू किया। केदार नाथ साहू , नटशेखर बनबिहारी पटनायक जैसे प्रसिद्ध गुरुओं के अधीन उन्होंने छऊ की शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने एशियन कल्चरल काउंसिल द्वारा प्रदान किए गए अनुदान के तहत न्यूयॉर्क में प्रशिक्षण भी लिया था। स्व. दूबे ने 1985 में छऊ नृत्य को बढ़ावा देने के लिए एक संस्था त्रिनेत्र की स्थापना की। जिसके तत्वावधान में उन्होंने दुनिया भर में कई स्थानों पर प्रदर्शन किया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में नृत्य के संकाय सदस्य के रूप में काम किया है। स्व, दूबे ने 1984 में न्यूयॉर्क और शकुंतलम में 1987 में ग्रीस के वोलोस थिएटर में दो क्लासिक नाटक प्रस्तुत किए। उनकी रचनाओं को प्रसिद्ध फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल द्वारा निर्मित टीवी श्रृंखला भारत एक खोज में शामिल किया गया था।

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इन पुरस्कारों से हुए थे सुसज्जित:-
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार , सीएमएसबी नई दिल्ली की ओर से लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, वोकेशनल अचीवमेंट अवार्ड, झारखंड राज्य पुरस्कार
सुवर्ण शंखू पुरस्कार, नाट्य श्री पुरस्कार, स्वर्ण शंख पुरस्कार, नाट्य तरंग पुरस्कार,नाट्य कीर्ति शिखा पुरस्कार, नाट्य वेद पुरस्कार मिले थे।

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