रजो संक्रांति पर परंपराओं का हुआ निर्वहन; कहीं झूले टंगे मुरुप में हुआ वार्षिक छऊ नृत्य महोत्सव . . .
- सरायकेला : SANJAY
रजो संक्रांति पर क्षेत्र में परंपराओं के निर्वहन की धूम रही। एक ओर प्रकृति पर्व के तहत किसान अपने आप को खेत और जमीन खोदने खुरचने से दूर रखें। वहीं दूसरी ओर घरों में परंपरागत पीठा पकवान पकाकर सामूहिक भोजन का आनंद लिया गया। इसी क्रम में सरायकेला क्षेत्र अंतर्गत सरगीडीह, नवाडीह सहित अन्य सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बागों के पेड़ों पर झूले टांगे गए। और पूरे दिन महिलाएं, युवतियां और बच्चों ने झूले झूलने का आनंद लिया।
इसे लेकर सरायकेला प्रखण्ड के मुरुप गांव में रजो संक्रांति के अवसर पर बुधवार रात्रि को वार्षिक छऊ नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भाजपा नेता गणेश महाली ने फीता काटकर विधिवत उद्घाटन किया। उन्होंने दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि कला संस्कृति हमारी धरोहर है, यही हमारी पहचान है। इसे बचा कर रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। इस महोत्सव में दो छऊ नृत्य मंडली एक मुरुप और दूसरा घोड़ालांग के चुनिंदा कलाकारों द्वारा पौराणिक कथाओं पर आधारित आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया गया। छऊ नृत्य को देखने के लिए मुरुप पंचायत व आस पास के गांवों से बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष मौजूद रहे। छऊ नर्तकों ने ऐसा नृत्य प्रस्तुत किया कि दर्शक प्रचंड गर्मी में भी रात भर अपने स्थान पर जमे रहे और काफी आनंद उठाया। छऊ नर्तकों ने गणेश, शिव, हाथी, भालू, बाघ, हिरण, आदि का मुखौटा पहनकर ऐसा आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया कि दर्शक वाह वाह करने को विवस हो गए। मौके पर लालमोहन महतो, जितमोहन महतो, दिल मोहन महतो, मणी प्रधान, लखी प्रमाणिक, भैरब प्रधान, फूलचांद प्रमाणिक, बिप्रोसेन प्रधान, जगतकिशोर प्रधान, गणेश प्रमाणिक, आनंद प्रमाणिक, हेमलाल महतो, दिनेश हो, हेमसागर प्रधान, गोराचाँद हो, समेत सैकडों दर्शक उपस्थित रहे। उक्त छऊ नृत्य महोत्सव कार्यक्रम को सफल बनाने में भीमसेन छऊ नृत्य मंडली के सक्रिय सदस्यों के साथ साथ समस्त ग्रामवासियों का सहयोग सराहनीय रहा।