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सरस्वती शिशु मंदिर उच्च विद्यालय सरायकेला में हुआ नूतन अभिभावकों का अभिनंदन समारोह…

सरायकेला Sanjay। सरस्वती शिशु मंदिर उच्च विद्यालय सरायकेला के शांतिकुंज में नूतन अभिभावकों के लिए अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। विद्यालय प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष रमानाथ आचार्य, प्रधानाचार्य पार्थसारथी आचार्य, उप प्रधानाचार्य तुषार कांत पति एवं आगंतुक अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। वंदना के उपरांत प्रधानाचार्य ने अक्षय तृतीया और वीर कुंवर सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम में उपस्थित सभी अभिभावकों का अभिनंदन करते हुए विद्यालय के संचालन एवं विद्यालय के सफरनामा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बच्चों के लिए आप हमसे उम्मीद रखते हैं, उसी तरह से हमारा भी आपसे कुछ आशाएं और अपेक्षाएं होती हैं। हम छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के क्रम में शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक एवं नैतिक विकास के माध्यम से शिक्षा प्रदान करते हैं। छात्र-छात्राओं के शिक्षा में आप सभी का भी विशेष योगदान होता है। आपके सहयोग के बिना हमारी शिक्षा संभव नहीं है। हमारे बीच अच्छे संबंध एवं सहयोग बहुत जरूरी है। समय पर बच्चों को विद्यालय भेजना, घर का बना हुआ जलपान, समुचित रूप से किताब कॉपी, पठन सामग्री उपलब्ध कराना, दैनिक रूप से पठन-पाठन की जांच करना आदि मुख्य रूप से शामिल है। मोबाइल छात्र-छात्राओं के विकास में बहुत बड़ा बाधक है।

बच्चों को मोबाइल से दूर रखना अभिभावकों की अपनी जिम्मेदारी होनी चाहिए। इसके अलावा प्रधानाचार्य ने नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में भी अभिभावकों को जानकारी दी और कहा कि जिस पेड़ का जड़ जमीन के अंदर जितना अधिक गहराई में जाता है, वह आंधी और तूफान का मुकाबला उतना ही कड़ाई के साथ कर सकता है। ठीक वैसे ही जिस बच्चे में जितना अधिक संस्कार और सदाचार होता है, वह अपने दैनिक जीवन में उतना ही प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है। विद्यालय प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष रमानाथ आचार्य ने कहा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देना और उनका भविष्य निर्माण करना हमारे उद्देश्य होने चाहिए। ज्ञान केवल जीविका उपार्जन का उद्देश्य नहीं होने चाहिए। बच्चों का सर्वांगीण विकास हमारा लक्ष्य हो।

यही विद्या भारती का भी लक्ष्य है। इसके अलावा विद्यालय संचालन से संबंधित विषयों के बारे में विस्तार से बताए। हमारा उद्देश्य समाज सेवा और जन जागरण हैं, महापुरुषों के जीवन चरित्र, ऋषि मुनियों के आचरण और व्यवहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। बच्चे अगर संस्कार युक्त शिक्षा पाते हैं, तो समाज में जिस तरह की परेशानियां उत्पन्न होती है, उससे काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है। जिस प्रकार से हमारे शिक्षक शिक्षिकाएं आपका सहयोग करते हैं, हम भी उम्मीद करते हैं कि आप भी हमारे शिक्षक शिक्षिकाओं का सहयोग करेंगे। तभी जाकर विद्यालय का विकास संभव होगा। शिक्षिका आशा ने शिशु वाटिका के बारह शैक्षणिक व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी और इसका क्रियान्वयन किस संबंध में उन्होंने अच्छी तरह से अभिभावकों को बताए। अभिभावकों को नन्ही दुनिया प्रदर्शनी का भ्रमण भी करवाया गया। मंच संचालन उप प्रधानाचार्य तुषार कांत पति ने किया। राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के गायन के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई। इस अवसर पर काफी संख्या में अभिभावक और सभी शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

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