सरला बिरला विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह: डॉ. खादरवली को मानद पीएचडी, 43 छात्रों को स्वर्ण पदक
राँची(Ranchi) । सरला बिरला विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में कुल 1664 छात्रों को विभिन्न संकायों से उपाधियाँ प्रदान की गईं। इस अवसर पर कुल 43 विद्यार्थियों को ‘बसंत कुमार बिरला स्वर्ण पदक’ से सम्मानित किया गया, वहीं पाँच शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। ‘मिलेट मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से विख्यात डॉ. खादरवली को विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।
दीक्षांत समारोह के दौरान विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग राष्ट्र और समाज के कल्याण हेतु करें। उन्होंने इस तेज़ी से बदलते विश्व में नवाचार और सार्थक योगदान की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि युवाओं की भूमिका समाज के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों को निरंतर सीखते रहने की प्रेरणा दी।
राज्यपाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने छात्रों के समग्र विकास, चरित्र निर्माण तथा अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर संतोष व्यक्त किया। छात्र-छात्राओं की फील्ड विजिट, पेटेंट प्राप्ति, स्टार्टअप्स की स्थापना और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध प्रस्तुतियों की विशेष रूप से चर्चा की। लड़कियों को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों की भी सराहना की।
डॉ. खादरवली ने अपने उद्बोधन में प्रकृति के साथ संतुलन साधने की आवश्यकता पर बल देते हुए श्रोताओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने का संदेश दिया। उन्होंने जीवन के सनातन तरीकों की पुनर्स्थापना का आह्वान किया और कहा कि प्रकृति के क्षरण के बीच अब परिवर्तन का वाहक बनने का समय आ गया है।
कुलाधिपति जयश्री मोहता ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से की जा रही पहल की जानकारी दी। उन्होंने स्व. बी. के. बिरला और स्व. सरला देवी बिरला के शिक्षा, राष्ट्र निर्माण और सामाजिक विकास के विजन की चर्चा की। अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ हुए शैक्षणिक समझौतों की चर्चा करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों के लिए वैश्विक स्तर पर अध्ययन और शोध की संभावनाओं को उजागर किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की पाठ्यचर्या को एनईपी 2020 के अनुरूप ढालने और ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य में योगदान की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
शासी निकाय के सदस्य अनंत जाटिया ने वर्ष 2018 से आरंभ हुई विश्वविद्यालय की विकास यात्रा और आठ वर्षों में निर्मित आधुनिक अधोसंरचना की चर्चा की। उन्होंने इसे अकादमिक उत्कृष्टता की दिशा में उठाया गया ठोस कदम बताया।
कुलपति प्रो. सी. जगनाथन ने विश्वविद्यालय की प्रगति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बिरला परिवार की शैक्षिक विरासत और विश्वविद्यालय द्वारा चरित्र निर्माण हेतु की जा रही पहलों की जानकारी दी। विद्यार्थियों की पाठ्येत्तर गतिविधियों, एक्टिविटी क्लब, एफटीपी आदि के माध्यम से समग्र विकास के प्रयासों पर प्रकाश डाला। साथ ही, आने वाले समय में आरंभ होने वाले नवीन पाठ्यक्रमों की जानकारी दी और शोध तथा अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में विश्वविद्यालय की योजनाओं का उल्लेख किया।
इस अवसर पर प्रतिकुलाधिपति बिजय कुमार दलान, महानिदेशक गोपाल पाठक एवं राज्यसभा सांसद प्रदीप कुमार वर्मा भी मंच पर उपस्थित रहे। कुलसचिव प्रो. एस. बी. डांडीन ने कार्यक्रम का संचालन किया। समारोह में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, रजिस्ट्रार, शिक्षाविद, स्थानीय गणमान्य नागरिक, शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
‘श्रीधान्य अपनाएं, आनेवाली पीढ़ी को बचाएं’
मिलेट मैन’ के रूप में प्रसिद्ध खाद्य एवं पोषण विशेषज्ञ डॉ. खादरवली, पिछले ढाई दशकों से लोगों को मोटे अनाज को दैनिक आहार में शामिल करने हेतु प्रेरित कर रहे हैं। वे बाजरे की प्रजातियों से निर्मित श्रीधान्य को गंभीर रोगों के समाधान के रूप में देखते हैं। इस उद्देश्य से उन्होंने देश-विदेश में व्यापक जागरूकता अभियान चलाए हैं।
मैसूर स्थित केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक रहे डॉ. वली ने विदेशों में भी कार्य किया, किंतु अंततः भारत में रहकर स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया। वे प्रकृति संरक्षण को लेकर स्पष्ट विचार रखते हैं और बाजरे को ग्लोबल वार्मिंग घटाने व खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक मानते हैं। उनका विश्वास है कि यदि भारत में सतत और सकारात्मक कृषि पद्धति अपनाई जाए, तो आगामी पचास वर्षों में सूखे की समस्या से मुक्ति मिल सकती है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2023 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
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