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फर्जी और झोलाछाप डॉक्टरों की अब खैर नहीं; जिला स्तरीय उड़न दस्ता दल ने की छापामारी; 6 स्वास्थ्य संस्थानों को कराया बंद…

सरायकेला :  संजय मिश्रा

सरायकेला। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के स्वास्थ्य से खेल रहे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इसे लेकर जिला स्तरीय उड़नदस्ता दल ने झोलाछाप फर्जी चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए आदित्यपुर के शहरी एवं स्लम बस्तियों में जाकर छापामारी की। छापामारी के दौरान फर्जी चिकित्सकों में हड़कंप देखने को मिला। आदित्यपुर बन्तानगर में अवैध रूप से संचालित तीन क्लिनिक के फर्जी चिकित्सक क्लिनिक खुला छोड़ कर भाग निकले।

छापामारी दल के नोड्ल अधिकारी डॉ.अनिर्वन महतो ने बताया कि पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से बहुतायत की संख्या में फर्जी चिकित्सक झारखंड में आकर अपना पांव पसार रहे हैं। और भोले-भाले गरीब जनता को इलाज के नाम पर ठगने का काम कर रहे हैं, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आगे उन्होंने बताया कि फर्जी चिकित्सक बिना चिरा-बिना टांका से हाइड्रोसील, हर्निया, भगंदर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज करने का दावा करते हुए रोगियों को अपने चुंगल में फंसा लेते हैं। और धीरे-धीरे शातिराना अंदाज में उनका आर्थिक दोहन शुरू करते हैं, अंततोगत्वा गरीब मरीज लंबे समय तक आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक शोषण का शिकार होने के बाद सरकारी व्यवस्था में आकर इलाज कराते हैं।

ऐसे मरीजों का इलाज करना सरकारी चिकित्सकों के लिए भी काफी चुनौती भरा होता है क्योंकि फर्जी चिकित्सक के द्वारा मरीज के इलाज का कोई हिस्ट्री नहीं दी जाती है, गलत रसायनों के दुष्प्रयोग से रोगी का शारीरिक लक्षण बदल जाता है जिससे मूल रोग का पता कर पाना काफी मुश्किल भरा होता है परिणाम स्वरूप रोगी काल के गाल में चला जाता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 से पहले फर्जी चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए कोई विशेष तरह का कानून नहीं था। जिसके कारण सेवा के नाम पर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर फर्जी चिकित्सक अपना व्यवसाय चमकाते थे।

परन्तु वर्ष 2010 में नया विधेयक “क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट” पारित हुआ एवं 2013 से झारखंड राज्य में यह कानून लागू होने से झोलाछाप फर्जी चिकित्सकों को नियंत्रित करने में अपेक्षित सफलता मिल रही है। इस एक्ट के अन्तर्गत जिला स्तर पर सिविल सर्जन कार्यालय में सभी क्लिनिक, नर्सिंग होम, अस्पताल, अल्ट्रासाउंड सेंटर, x-ray सेंटर, पैथोलॉजी सेंटर आदि स्वास्थ्य संस्थानों को निबंधन कराना आवश्यक है। निबंधन के लिए स्वास्थ्य संस्थान के इंचार्ज की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता एम.बी.बी.एस. निर्धारित की गई है, बिना डिग्री सर्टिफिकेट के स्वास्थ्य संस्थान का निबंधन नहीं होगा। अर्थात फर्जी चिकित्सक अपने क्लिनिक का निबंधन नहीं करा पाएंगे। निबंधन के बिना स्वास्थ्य संस्थान का संचालन अवैध माना जाता है। जिस पर संगत धाराओं के अधीन कार्रवाई की जाती है।

छापामारी के दौरान कुल 06 क्लिनिक अवैध ढंग से संचालित करते पाए गए जिसको तत्काल बंद कराते हुए शो कॉज नोटिस सिविल सर्जन के स्तर से जारी किया गया है। बंद कराये गये अवैध स्वास्थ्य संस्थान में शारदा क्लिनिक, बलायडीह गम्हरिया, भगत क्लिनिक बलायडीह गम्हरिया, लक्ष्मी क्लिनिक, बन्तानगर आदित्यपुर, न्यू लाईफ क्लिनिक, बन्तानगर आदित्यपुर, गुप्ता क्लिनिक, बास्को नगर, गम्हरिया एवं माइक्रो पैथोलॉजी ,आदित्यपुर शामिल हैं। दल के नोड्ल अधिकारी ने बताया कि नियमित रूप से पूरे जिले में औचक छापामारी जारी रहेगी। उन्होंने आम लोगों की जागरूकता के लिए बताये कि ऐसे स्वास्थ्य संस्थान पर ही इलाज के लिए जाएं जो क्लिनिकल ईस्टाब्लिशमेंट एक्ट-2010 के अन्तर्गत निबंधित हों।

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