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हुल दिवस पर झारखंड आंदोलनकारियों ने वीर शहीद सिद्धू कान्हू को किया नमन…

सरायकेला:संजय मिश्रा

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सरायकेला। झारखंड आंदोलनकारी मंच के मुख्य संयोजक धनपति सरदार ने हूल दिवस के अवसर पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ व्रिदोह के नायक वीर शहीद सिद्धू कान्हु की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। हुल जोहार करते हुए झारखंड आंदोलनकारी धनपति सरदार ने कहा कि देश की पहली जनक्रांति 30 जून 1855 हूल विद्रोह के नायक सिद्दो -कान्हो, फूलों -झानो, चांद -भैरव को नमन है। उन्होंने सिद्धू कान्हू के विचार कहते हुए कहा कि हमारे पूर्वज, बाप दादों ने जंगल काटकर, जंगली जनवरों से लड़कर, जान हथेली पर रखकर यहाँ बंजर से बंजर जमीन को आबाद किया। और गाँव बसाये। हमारे बच्चे यहाँ पैदा हुये। इस जमीन का ज़र्रा-ज़र्रा हमारे खून से सींचा है।

यह हमारा है, इस धरती, इन जंगलों पर हमारा अधिकार है। स्थानीयता के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि संयुक्त बिहार के समय ही स्थानीयता को पूर्ण रूप से परिभाषित एवं स्पष्ट कर दिया गया है कि बिहार सरकार श्रम एवं नियोजन विभाग पत्र संख्या 3/स्था.नि.-5014/81-806 दिनांक 3 मार्च 1982 के आलोक में स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा का आधा जिला को ही माना गया है। जिले में पिछले सर्वे रिकॉर्ड में जिन लोगों की अपनी या अपने पूर्वजों के नाम की जमीन वासंगीत आदि का उल्लेख हो उन्हें ही जिले के दायरे में स्थानीय माना गया है। आज भी वर्तमान बिहार में इसी आधार पर स्थानीयता परिभाषित है। जो संविधान सम्मत है। मौके पर राजेश मुंडरी, राजकिशोर लोहार, हरिचरण पाड़ेया, सेलाय बानरा, महेंद्र जामुदा, लखींद्र पूर्ति, वीरेंद्र पाड़ेया सहित अन्य उपस्थित रहे।

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