देवस्नान पूर्णिमा पर “जय जगन्नाथ, जय जय जगन्नाथ” के जयकारे के बीच 108 कलशों के पवित्र जल से हुआ महाप्रभु का सहस्त्रधारा स्नान, भक्तों ने नयनाभिराम दर्शन कर की पूजा अर्चना…
महाप्रसाद में खीर खिचड़ी के साथ खट्टे आमड़े की सब्जी खाकर महाप्रभु को आया बुखार, स्वास्थ्य लाभ के लिए महाप्रभु गए अन्नसर गृह में…
सरायकेला Sanjay । जगन्नाथ धाम पुरी के तर्ज पर सरायकेला में आयोजित होने वाले महाप्रभु श्री जगन्नाथ के पूजा आराधना के तहत रविवार को सरायकेला स्थित प्राचीन जगन्नाथ श्री मंदिर में देवस्नान पूर्णिमा मनाया गया। इस अवसर पर श्री मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित ब्रह्मानंद महापात्र, पंडित सानु आचार्य एवं अन्य सहयोगी पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महाप्रभु की आराधना की गई। जिसके बाद जगन्नाथ भक्तों एवं जगन्नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष राजा सिंहदेव, राजेश मिश्रा, बादल दुबे सुशांत महापात्र, चिरंजीवी महापात्र सहित अन्य सभी की उपस्थिति में खरकई नदी से लाए गए 108 कलशों के पवित्र जल में सुगंधित द्रव्य और औषधीय पदार्थ मिलाकर महाप्रभु श्री जगन्नाथ का सहस्त्रधारा देवस्नान करवाया गया।
इसके पश्चात नए वस्त्र और नए मुकुट के साथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र को श्री मंदिर स्थित सिंहासन पर विराजमान किया गया। जहां भक्तों ने महाप्रभु के नयनाभिराम रूप का दर्शन करते हुए उनकी आराधना की। इस अवसर पर महाप्रभु को महाभोग प्रसाद के रूप में श्री मंदिर के पाकशाला में पकाए गए खीर खिचड़ी के साथ खट्टे आमड़े की सब्जी का चढ़ावा चढ़ाया गया। जिसके बाद धार्मिक मान्यता के अनुसार महाप्रभु ज्वर से पीड़ित हुए। इसके पश्चात महाप्रभु को स्वास्थ्य लाभ के लिए श्री मंदिर स्थित अन्नसर गृह में विश्राम एवं इलाज के लिए ले जाया गया।
अगले 15 दिनों तक महाप्रभु करेंगे विश्राम; भक्तों को नहीं देंगे दर्शन:-
इसके साथ ही महाप्रभु श्री जगन्नाथ अगले 15 दिनों तक के लिए अपने भक्तों से दूर रहकर स्वास्थ्य लाभ करेंगे। इस दौरान सिर्फ श्री मंदिर के पुजारी सह सेवक पंडित ब्रह्मानंद महापात्र महाप्रभु की देखभाल करेंगे। इन 15 दिनों में महाप्रभु को चिवडा का भोग चढ़ाया जाएगा। साथ ही इलाज के लिए दो चरणों में माली परिवार द्वारा विशेष रूप से तैयार की गई आयुर्वेदिक औषधि दवाइयां दी जाएंगी। जिसमें 5 दिनों के पश्चात यानी आगामी 9 जून को महाप्रभु को पंचमूलारिस्ट औषधि दी जाएगी। और उसके 10 दिनों के बाद यानी 18 जुन को दूसरी खुराक के रूप में दशमूलारिष्ट औषधि दी जाएगी। जिससे स्वस्थ होकर महाप्रभु 18 जुन को नेत्र उत्सव पर अपने भक्तों को दर्शन देंगे।
जाने जगन्नाथ संस्कृति को:-
1. ईश्वर होते हुए भी आम जीवन से जुड़े घटनाओं का धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
2. कलियुग में टूट रहे रिश्ते नातों को जोड़ने का संदेश देते हुए महाप्रभु अपने भाई और बहन के साथ होते हैं।
3. एकमात्र देव जो अपने भक्तों से मिलने के लिए साल में एक बार रथ यात्रा कर श्री मंदिर से बाहर भक्तों के बीच पहुंचते हैं।