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अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस पर बोले सरायकेला के शतरंज खिलाड़ी जलेश कवि…

सरायकेला /संजय मिश्रा। शतरंज की बिसात की दर्जनों ऐतिहासिक घटनाएं और लिखी गई रचनाएं जन-जन के जेहन में है। बावजूद अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस जैसे महत्वपूर्ण मौके पर इसकी याद करने वाले चंद ही लोग देखे जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के अवसर पर सरायकेला क्षेत्र के शतरंज खिलाड़ी जलेश कवि ने कहा है कि शतरंज खेल के रूप में सरायकेला में पूर्व से ही बहुत ही होनहार खिलाड़ी रह चुके हैं। 90 के दशक में इस क्षेत्र में शतरंज खेल का बहुत ज्यादा प्रचलन था। उस समय सरायकेला के उत्कलमणि आदर्श पाठागार, स्कूल तथा कॉलेजों के माध्यम से प्रत्येक वर्ष शतरंज का कंपटीशन प्रतियोगिता हुआ करता था।

जिससे क्षेत्र में बहुत सारे खिलाड़ी उभरते हुए राज्य के विभिन्न क्षेत्र में जा कर अपनी प्रतिभा दिखाते थे। उन्होंने भी क्षेत्र के वरिष्ठ एवं तेजतर्रार खिलाड़ियों जैसे जीवानंद पांडा, गौरांग चरण पति, दिलीप मिश्रा ऐसे कई एक होनहार खिलाड़ियों के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय, अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता तथा जमशेदपुर के जेआरडी कंपलेक्स, चक्रधरपुर के रेलवे द्वारा आयोजित, उड़ीसा तथा पश्चिमी बंगाल का कुछ क्षेत्र में आयोजित ओपन टूर्नामेंट में भाग लेते हुए कई एक पदक अपने नाम हासिल किए। बाद में कोल्हान ग्रैंड मास्टर भूदेव त्रिपाठी जी के संपर्क में आते हुए और भी बहुत सारे टूर्नामेंट खेलते हुए अनेक ट्रॉफी अपने नाम किया। बाद में झारखंड राज्य शतरंज संगठन के अध्यक्ष बीटी राव (आदित्यपुर) द्वारा आयोजित बहुत सारे ओपन शतरंज प्रतियोगिता में खिलाड़ी के साथ साथ सह सचिव के पद के रूप अपना योगदान दिया।

आज अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के अवसर पर उन्होंने यह निर्णय लिया है कि समय अंतराल के चलते क्षेत्र में शतरंज के प्रति लोगों का रुझान में जो शिथिलथा आई है। उसे बढ़ाने हेतु स्थानीय संस्था उत्कलमणि आदर्श पाठागार की ओर से बहुत जल्द युवा खिलाड़ियों को ट्रेनिंग की व्यवस्था करते हुए क्षेत्र में शतरंज खेल एवं प्रतियोगिता का माहौल तैयार करेंगे। इस संबंध में क्षेत्र के शतरंज से जुड़े हुए पूर्व खिलाड़ियों एवं खेल प्रेमियों को एकत्रित कर शतरंज खेल को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। जिससे क्षेत्र के युवाओं के मन का एकाग्रता के साथ साथ मस्तिष्क का विकास भी होगा।

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