बांग्लादेश में सत्ता पलट महज एक घटना नहीं बल्कि गहरी साजिश का अंजाम : मनोज कुमार चौधरी…
सरायकेला : संजय मिश्रा । कट्टरपंथी एवं जेहादी संगठनों के बढ़ते प्रभाव को नजरअंदाज करने का दुष्परिणाम, भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका और अब बांग्लादेश का फेल होना गंभीर चिंता का विषय. इससे हर भारतवासी को सजग एवं सतर्क रहने की जरूरत है। बांग्लादेश में सोमवार को हुई रखना पलट की घटना पर उक्त प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता सह सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि पिछले दिनों लोकसभा चुनाव के समय जिस आरक्षण और संविधान का हवाला देकर इंडी गठबंधन व कांग्रेस पार्टी द्वारा जनता के बीच में भ्रम फैलाया गया और कुछ क्षेत्र में जनता को बरगलाने में कामयाब भी हुए वैसे मतदाताओं से आग्रह है कि वह श्रीलंका एवं बांग्लादेश के सत्ता पलट और हालातों का आकलन करें।
आखिर हिंसा को किसने भड़काया, हिंसा को भड़काने में मुख्य रूप से पाकिस्तान और आईएसआई के हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। सवाल उठ रहे हैं कि बांग्लादेश में जानलेवा हिंसा को भड़काने के पीछे पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश में ‘छात्र शिविर’ नाम के छात्र संगठन ने इस हिंसा को हवा देने का काम किया है। यह छात्र संगठन बांग्लादेश में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी की शाखा है, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन प्राप्त है।
कट्टरपंथियों की चुंगुल में फंसा बांग्लादेश:-
मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि बांग्लादेश में बढ़ता कट्टरपंथ और अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की वारदात कोई नई बात नहीं हैं। अब तक हिंसा की ये घटनाएं एक सीमित इलाकों में होती आई हैं, लेकिन पहली बार पूरे बांग्लादेश में हिंसा भड़की है। पिछले एक दशक में जमात-ए-इस्लामी, हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे कट्टरपंथी संगठनों का प्रभाव बांग्लादेश में तेजी से बढ़ा है। ये संगठन दबाव की रणनीति के तहत सरकार से कई अहम फैसले बदलवाने में भी सफल रहे हैं। कट्टरपंथियों का बांग्लादेश के अलग-अलग इलाकों में लगातार इनका प्रभाव बढ़ रहा था, ऐसे में यहां अल्पसंख्यकों के लिए खतरा भी बढ़ता ही जा रहा था।
2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में यहां अल्पसंख्यकों को 3679 बार हमलों का सामना करना पड़ा। कट्टरपंथियों एवं जेहादियों द्वारा 1678 मामले धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ और हथियारबंद हमलों के सामने आए। इसके अलावा घरों-मकानों में तोड़-फोड़ और आगजनी समेत हिंदू समुदाय को निशाना बनाकर लगातार हमले किए गए। खासकर 2014 के चुनावों में आवामी लीग की जीत के बाद हिंसक घटनाएं बड़े पैमाने पर हुईं, जिनमें हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया, जो अब तक जारी है। ये बताना जरूरी हो जाता है कि कट्टरपंथी और जेहादी प्रदर्शनकारियों से सांठगांठ तथा उनका समर्थन करने वाले बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने शेख हसीना के इस्तीफे के बाद इस संबंध में नाटकीय ढंग से देश की प्रमुख पार्टियों के साथ मिलकर बैठक की।
उन्होंने कहा कि 18 सदस्यीय अंतरिम सरकार प्रस्तावित की गई है। व सेना इस सरकार को चलायेंगी तथा जो हत्या हुई हैं उस पर न्याय होगा। प्रदर्शनकारियों की मांगे पूरी करेंगे और देश में शांति वापस लाएंगे। मनोज कुमार चौधरी ने पुनः निवेदन करते हुए कहा है कि कट्टरपंथियों एवं जेहादियों का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों के लोकलुभावन झांसो में नहीं आए। वर्ना भारत को बांग्लादेश बनने में देर नहीं लगेगी। उन्होंने कहा है कि श्रीलंका और बांग्लादेश तख्तापलट की घटना महज एक घटना नही बल्कि सुनियोजित साजिश का परिणाम है। इस घटना से हम भारतीयों को सजग एवं सतर्क रहने की जरूरत है।