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बाल विवाह के खिलाफ मशाल लेकर अलख जगाने उतरीं इससे पीड़ित महिलाएं…

सरायकेला:संजय मिश्रा

सरायकेला। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी आह्वान पर पूरे देश में चल रहे “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान के तहत बाल विवाह मुक्त भारत दिवस के मौके पर राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन के छत्रध्वज तले गैर सरकारी संगठन युवा संस्था एवं झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा सरायकेला-खरसावा में 1023 जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों में 140000 महिलाओं, बच्चों और आम लोगों ने शपथ ली कि वे न तो बाल विवाह का समर्थन करेंगे और न इसे बर्दाश्त करेंगे।

बड़े पैमाने पर हुए इन कार्यक्रमों को सफल बनाने में उपायुक्त रविशंकर शुक्ला, उप विकास उपायुक्त प्रवीण कुमार गागराई, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती सत्या ठाकुर तथा अनुमंडल पदाधिकारी, सिविल सर्जन, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी, समस्त प्रखंड विकास पदाधिकारी की अहम् भूमिका रही। सभी अधिकारियों ने इस विशालकाय कार्यक्रम को सफल बनाया।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएचएफएस-2019-21) के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में 20 से 24 आयुवर्ग के बीच की 23.3% युवतियों का विवाह 18 वर्ष से कम आयु में हो गया था। जबकि सरायकेला-खरसावा में 19.2% लड़कियों का विवाह‌ 18 वर्ष की होने से पहले हो गया था। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश के 300 से भी ज्यादा जिलों में चलाया जा रहा है। भारत से 2030 तक बाल विवाह के समग्र खात्मे के लक्ष्य के साथ पूरी तरह से महिलाओं के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान से देश के 160 गैर सरकारी संगठन जुड़े हुए हैं। सोलह अक्टूबर को इस अभियान के एक साल पूरे हुए। इस अरसे पर पूरे देश में हजारों बाल विवाह रुकवाए गए और लाखों लोगों ने अपने गांवों और बस्तियों में बाल विवाह का चलन खत्म करने की शपथ ली।

गांवों में पूरे दिन इस अभियान के समर्थन में उतरे लोगों की चहल पहल रही और इस दौरान शपथ ग्रहण, नुक्कड़ नाटक, रैलियां, बाल विवाह के खिलाफ नारेबाजी, गणमान्य व्यक्तियों द्वारा भाषण जैसे तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सूरज ढलने के बाद लोगों ने हाथों में मशाल लेकर मार्च भी किया‌ और लोगों को जागरूक करते हुए संदेश दिया कि नए भारत में बाल विवाह की कोई जगह नहीं है। इस मार्च में स्कूली बच्चों, ग्रामीणों, धार्मिक नेताओं सहित समाज के सभी वर्गों और समुदायों के लोगों ने हिस्सा लिया। इस मार्च का मकसद गांवों और कस्बों में लोगों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक करना‌ था।

इस दौरान विवाह समारोहों में अपनी सेवाएं देने वालों जैसे कि शादियों में खाना बनाने वाले हलवाइयों, टेंट-कुर्सी लगाने वालों, फूल माला बेचने‌ व‌ सजावट करने‌ वालों, पंडित और मौलवी जैसे पुरोहित वर्ग को जागरूक करने पर विशेष ध्यान दिया गया। बाल विवाह की पीड़ा एवं डायन प्रथा का दंश झेल चुकी पद्मश्री छूटनी महतो ने कहा कि जो समस्याएं उन्होंने व उनकी बेटी ने बाल विवाह के वजह से झेली वह उनकी नतिनी या अब समाज की कोई भी बेटी नहीं झेलेगी।

युवा संस्था के निदेशक राकेश नारायण ने कहा कि “बाल विवाह वो अपराध है जिसने सदियों से हमारे समाज को जकड़ रखा है। लेकिन नागरिक समाज और झारखण्ड सरकार द्वारा राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता और प्रयास जल्द ही एक ऐसे माहौल और तंत्र का मार्ग प्रशस्त करेंगे जहां बच्चों के लिए ज्यादा सुरक्षित और निरापद वातावरण होगा। इन दोनों द्वारा साथ मिल कर उठाए गए कदमों और लागू किए गए कानूनों के साथ समाज व समुदाय की भागीदारी 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत सुनिश्चित करेंगी।” बताया गया कि युवा संस्था झारखण्ड के विभिन्न जिलों में सन 2009 से बच्चों एवं महिलाओं के मुद्दों पर काम करती आ रही है। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की मदद से जिले को बाल विवाह, बाल तस्करी मुक्त करने के लिए युवा संस्था प्रतिबद्ध है।

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