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वनांचल 24 टीबी लाईब डॉट कॉम की स्पेशल रिपोट

(सरकार आपके द्वार से आस लगाये वैठे हैं सरायकेला -खरसवां जिला के राजनगर प्रखंड की दो पंचायत हेरमा और कुजू)

ग्रामीण सड़क, पानी, शौचालय सहित अन्य योजनाओं से भी हैं वंचित

(सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित है सारजमड़ीह गांव के ग्रामीण, सरकार से की विकास कार्य चालू करने की मांग)

सरायकेला : राजनगर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कुजू पंचायत के सारजमडीह गांव के लोगों को सिर्फ राशन कार्ड व वोट का अधिकार ही मिला है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार के जनकल्याणकारी योजनाओं से ग्रामीण वंचित है. राजनगर प्रखंड के ईचा-खरकई बांध परियोजना के डूब क्षेत्र की 2 पंचायतों के लगभग 26 हजार से अधिक की आबादी के लोगों को सिर्फ राशन कार्ड व चुनाव में मताधिकार का लाभ मिलता है. ईचा-खरकई बांध बनेगा या नहीं बनेगा द्वंद्घ के बीच झूलते उक्त क्षेत्र के लोग सरकारी विकास योजनाओं से वंचित है.

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गौरतलब है कि वर्ष 1984 में ईचा-खरकाई बांध परियोजना का शुभारंभ हुआ था। जिसमें राजनगर प्रखंड की दो पंचायतों हेरमा व कुजू के करीब 21 गांव पूर्णत डूब क्षेत्र घोषित किए गए हैं. डैम योजना बिगत 36 वर्षों से लटकती रहने के कारण उक्त क्षेत्र के लोगों को सरकार की विकास योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. वहीं सरकारी फाइलों में विस्थापित होने का दर्जा मिलने के बावजूद उनका पुनर्वास नहीं हो सका है. डैम का निर्माण नहीं होने व पुनर्वास नहीं होने के कारण ग्रामीण आज भी उन्हीं गांव में रह रहे हैं. डूब क्षेत्र घोषित हो जाने के कारण सरकार उक्त गांव में विकास का काम नहीं करा पा रही है.

ग्रामीणों का कहना है कि दोनों पंचायतों के लोगों को सिर्फ वोट देने का अधिकार है। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने का अधिकार नहीं। सरकारी योजनाओं में सिर्फ राशन कार्ड का लाभ मिला है. आधारभूत संरचना के विकास जैसे सड़क, पानी, शौचालय, स्वास्थ्य आदि जैसे योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. हेरमा और कुजू पंचायतों के कुछ गांव पूरी तरह डूब क्षेत्र घोषित है। दोनों ही पंचायतों के ग्रामीण कच्ची जर्जर सड़क से आवागमन करने को विवश है. पानी के लिए वर्षों पहले लगे चापाकल है जो अब खराब हो गए हैं. लेकिन उनकी मरम्मत भी नहीं हो रही है. गांव में एक भी तालाब नहीं है लोगों को नहाने के लिए 1 किलोमीटर दूर स्थित खरकई नदी में जाकर नहाते हैं। सारजमडीह से प्रखंड कार्यालय की दूरी लगभग 25 किलोमीटर व जिला कार्यालय की दूरी 50 किलोमीटर है. सड़क जर्जर होने के कारण गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ लोगों को भी आने जाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है.

एक चापानल के भरोसे 240 की आबादी ……

सारजमड़ीह के ग्रामीणों का कहना है कि गांव तक आने के लिए देश आजादी के पहले से अभी तक सड़क नहीं बनी है. गांव में बना चबूतरा भी जर्जर हो चुका है। कोई लोगों को उज्जवला योजना का भी लाभ नहीं मिला हैं. शौचालय नहीं बनने के कारण महिलाओं को शौच के लिए 1 किलोमीटर दूर नदी जाना पड़ता है. गांव में एक भी पक्का मकान नहीं है। सभी लोग पुआल व खपरे के घर में रहते हैं. डूबी क्षेत्र घोषित होने के कारण ग्रामीण को पीएम आवास व मनरेगा कार्य से भी लोग वंचित है.

 

129 करोड़ के डैम की लागत अब 6000 करोड़ फिर भी कार्य अधुरा

वर्ष 1984 में मात्र 129 करोड रुपए की राशि से प्रस्तावित ईचा-खरकई डैम की लागत वर्ष 2020 में बढ़कर 6000 करोड़ पहुंच चुकी है। लेकिन डैम का काम

अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। ना ही उसके डूब क्षेत्र के लोगों को पुनर्वास किया गया है.

रोजगार नहीं मिलने के कारण लोग दूसरे राज्य में पलायन करने को हैं मजबूर

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित व रोजगार नहीं मिलने के कारण लोग दूसरी राज्य बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई, आदि शहरों में कार्य करने चले जाते है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने डूब क्षेत्र घोषित कर हमारे साथ अन्याय किया है. सरकार की किसी भी कल्याणकारी योजना का लाभ ग्रामीण नहीं ले पा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव के कई युवक डिप्लोमा,आई.टी.आई किए हैं परंतु चालीयामा में स्थित रुंगटा माइन्स मे उन्हे रोजगार नहीं मिल पा रहा है. कंपनी बाहर के व्यक्ति को ही कार्य में लगाया जा रहा है. जिससे गांव के नवयुवक रोजगार से वंचित व दूसरे राज्य पलायन होने को मजबूर हो रहे हैं.

 

 

ये गांव आते हैं ईचा-खरकई बांध के डूब क्षेत्र में

ईचा,सारजमडीह,बंदोंडीह,कुमड़ी,रेगाड़बेड़ा,देहरीडीह,बालीडीह,मझगाँव,नीमडीह,महुलडीह,चंदनखीरी,गुलीया,हेरमा,यदुडीह,हाथीसेरेग,धोलाड़ीह,

क्या कहते हैं ग्रामीण

     बाबलु बोड़ा, ग्रामीण            साधु पाड़िया, ग्राम मुंडा सारजमडीह

सारजमडीह गांव में आजादी के पहले से ही विकास कार्य वंचित है. सरकार से अनुरोध है की हमारे गांव में सड़क, पानी एवं अन्य लाभकारी योजना का लाभ मिलना चाहिए.

37 वर्षों से ईचा-खरकई बांध परियोजना 21 गांव के ग्रामीणों के लिए गले की हड्डी बन गई है. न डैम पूरा हो रहा है ओर न हीं मुआवजा और पुनर्वास का लाभ मिल रहा है.

 

कई वर्षों से आधारभूत संरचना का विकास नहीं हो रहा है. नतीजा लोगों को कई                                                                              डूब क्षेत्र होने का दंश दो पंचायत के लोगों को भुगतना पड़परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जो आने                                                                                                                   वाला रहा है. विकास कार्य यहा नहीं चलाए जाने सेपंचायत चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनेगा.                                                                                                                                                  ग्रामीण पानी, सड़क समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं से         विरसा गौड़सोरा,गामीण                                                                                                                                                                                वंचित है

                                                                                                                                                                                                             केरा लागुरी,ग्रामीण

 गांव में कई बुजुर्गों को वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गांव की समस्याओं को समाधान करने का अनुरोध किया है.

मोटा पाड़ेया,ग्रामीण

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