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सरायकेला खरसावां (संजय मिश्रा) सरायकेला के । स्थायीकरण और वेतनमान की मांगों को लेकर राज्य भर के पारा टीचर एक बार फिर आंदोलन के मूड में हैं। इस संबंध में एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सरायकेला खरसावां जिलाध्यक्ष सोनू सरदार ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि राज्य सरकार के वादाखिलाफी के विरोध में सुबह के पारा शिक्षक एक बार फिर से आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। उन्होंने कहा है कि पारा शिक्षकों की लंबित मांग और लंबे संघर्ष को लेकर हेमंत सरकार ने चुनाव पूर्व अपने घोषणापत्र में वायदा किया था कि सरकार गठन के 3 महीने के भीतर पारा शिक्षकों को स्थाई करते हुए वेतनमान दिया जाएगा। इतना ही नहीं सरकार में शामिल सभी घटक दलों ने हर चुनावी सभाओं में पारा शिक्षकों के मामले को एक हाईप्रोफाइल मुद्दा के तौर पर सामने रखकर चुनाव लड़ा था। परंतु दुर्भाग्य की बात है कि सरकार गठन के लगभग 2 साल बीत जाने के बाद भी यह सिर्फ हवा हवाई जुमला ही से साबित हुआ है। जिससे राज्य भर के पारा शिक्षकों में रोष व्याप्त है। और यह जल्द ही उग्र आंदोलन में तब्दील हो सकता है। उन्होंने बताया कि मोर्चा के प्रदेश नेतृत्व के निर्देशानुसार जिले के तमाम प्रखंडों में बैठक कर आम सहमति बना ली गई है। इसके बाद जल्दी ही जिला स्तरीय बैठक कर प्रदेश नेतृत्व को सूचित करते हुए आंदोलन का बिगुल ठोक दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार कोरोनावायरस महामारी का बहाना बनाकर पारा शिक्षकों से किए हुए अपने वायदे से मुकर रही है। जबकि इसी महामारी के बीच बिहार, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में वहां के पारा शिक्षकों को वेतनमान देने का कार्य किया गया है। उन्होंने बताया कि काफी देर हो चुकी है। और पारा शिक्षकों का धैर्य भी जवाब दे रहा है। इसलिए वे अब बहलने वाले नहीं हैं। सरकार यथाशीघ्र अपने वायदे के मुताबिक पारा शिक्षकों को स्थाई करते हुए वेतनमान लागू करें। अन्यथा प्रखंड से लेकर राजधानी तक पारा शिक्षकों की हुंकार गूंजेगी।

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