इस मकर संक्रांति होगा शत्रुओं का नाश,
बाधाएं नष्ट होगी और संपन्नता आएगी ।
सरायकेला। क्षेत्र के सर्वाधिक प्रसिद्ध वार्षिक पर्व पांच दिवसीय मकर परब के दूसरे दिन बाउंडी का आयोजन किया गया। जहां सरायकेला में विशेष बाउंडी हाट लगा। इस अवसर पर लोगों ने जमकर सब्जियां, तेल, गुड, चावल सहित मुर्गे एवं बत्तख की खरीदारी की। विशेष बाउंडी हाट में उमड़ी भीड़ से कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ती रही। इस दौरान ना ही सोशल डिस्टेंसिंग नजर आया। और ना ही सभी चेहरों पर फेस मास्क। इतना ही नहीं इस स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए कोई देखनहार भी नजर नहीं आए। बहरहाल कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए जानकारों ने ऐसी स्थिति को चिंताजनक बताया।
शुभ संयोगो के साथ कहीं आज तो कहीं कल
मनेगा मकर पर्व :-
इस वर्ष मकर संक्रांति शुभ संयोगो के साथ आ रही है। पंचांगवेत्ता और श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी पंडित बृज मोहन शर्मा बताते हैं कि इस वर्ष संक्रांति देवी बाघ के वाहन पर आ रही है। संक्रांति देवी पीले वस्त्र पहन कर दक्षिण दिशा की ओर चलेंगी। जिस कारण मकर संक्रांति पर इस बार शत्रुओं का हनन होगा। और बाधाएं नष्ट होगी। शुक्रवार का दिन होने की कारण मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहेगी। साथ ही 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन सूर्य और शनि एक साथ मकर राशि में विराजमान होकर मकर संक्रांति के पर्व को खास बना रहे हैं। उन्होंने बताया है कि मकर संक्रांति पर इस बार दो तिथियों को लेकर उलझन है।
राजधानी दिल्ली के पंचांग में उत्तरायण काल में संक्रांति का शुभ मुहूर्त शुक्रवार 14 जनवरी को दोपहर 2:43 बजे से शाम 5:45 बजे तक रहेगा। जीत का पुण्य काल शुक्रवार की प्रात 6:15 बजे से शुरू होकर शाम के 4:44 बजे तक रहेगा। स्थिर लग्न में महा पुण्य काल शुक्रवार प्रातः 9:00 बजे से 10:30 बजे तक और इसके बाद दोपहर 1:32 बजे से 3:28 बजे तक रहेगा। वही बनारस के पंचांग मैं सायं काल का मुहूर्त बताया गया है। इसलिए 14 एवं 15 जनवरी दोनों ही दिन पुण्य काल और स्नान, दान का मुहूर्त बन रहा है। उन्होंने अपने निवास स्थान और पंचांग के आधार पर मकर संक्रांति मनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि इस दिन तीर्थ धाम पर नदिया सरोवर में आस्था की डुबकी लेने का बड़ा महत्व है। ऐसा नहीं कर पाने की स्थिति में पानी में गंगाजल, तिल और थोड़ा सा गुड़ मिलाकर स्नान करने से भी तीर्थ स्नान का लाभ प्राप्त होता है।
भगवान सूर्यनारायण इस दिन उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। इसलिए इस दिन भगवान सूर्यनारायण को तांबे के पात्र में जल, गुड और गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य देने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। गायत्री मंत्र एवं भगवान सूर्यनारायण के मंत्रों का जाप करना विशेष फलदाई होता है। गुड, पील और मूंग दाल की खिचड़ी का सेवन करने और इन्हें गरीबों में बांटने से संपन्नता आती है। भगवान सूर्यनारायण के उत्तरायण होने के साथ मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है।