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आखान यात्रा पर ग्रामीण क्षेत्रों जीवंत रही चिड़ी दाग परंपरा….

सरायकेला। आखान यात्रा के शुभ अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों में प्राचीन चिड़ी दाग परंपरा का आयोजन किया गया। इसके तहत गांव के परंपरा निर्वहन करने वाले जानकारों द्वारा आग जलाकर उसमें अंकुश धारी 3 कीलों वाले लोहे को गर्म किया गया। और तप्ते लोहे की कील से नाभी के चारो ओर तीन दाग दागे गए। विशेषकर बच्चों में इस परंपरा का निर्वहन किया गया।

हालांकि सभी आयु वर्ग के लोगों ने इस अवसर पर चिड़ी दाग ली। इसके अलावा पाले गए पशुओं गाय, बैल और भैंसों को भी चिड़ी दाग लगाया गया। क्षेत्र अंतर्गत पांड्रा गांव सहित अन्य गांवों में भी चिड़ी दाग की प्राचीन परंपरा देखी गई। इसके पीछे मान्यता रही है कि आखान यात्रा के दिन चिड़ी दाग लेने पर साल भर पेट से संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं। मजे की बात और आस्था का विषय भी है कि लोहे की कील से चिड़ी दाग दागे जाने के बाद भी किसी प्रकार की इंफेक्शन या स्वास्थ्य समस्या नहीं होने की बात बताई जाती है।

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