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राज्य का एकमात्र प्रखंड गम्हरिया जहां कोरोना संक्रमण के बीच

भी शिक्षक बना रहे हैं बायोमैट्रिक अटेंडेंस।

मुख्यमंत्री द्वारा निर्धारित की गई कोरोना गाइडलाइन की अनदेखी कर बायोमेट्रिक अटेंडेंस बनाने को मजबूर किए जा रहे शिक्षक।

सरायकेला: जिले में कोरोना के मामलों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के मद्देनजर जहां एक तरफ लोग अपनी सुरक्षा को सर्वोपरि मानकर इसके सभी प्रकार के उपाय कर रहे हैं। और झारखंड सरकार द्वारा मिनी लॉकडाउन को 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया है। जबकि दूसरी तरफ इसी कोरोना काल में सरकारी विद्यालयों के शिक्षक बायोमैट्रिक अटेंडेंस करने को मजबूर किए जा रहे हैं. मामला गम्हरिया प्रखंड के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का है। जहां प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के आदेश पर सभी शिक्षक बायोमेट्रिक अटेंडेंस बनाने को मजबूर हैं. इस विषय पर अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के गम्हरिया 2 के प्रखण्ड अध्यक्ष हेमन्त मार्डी ने कहा कि कोई भी नियम कानून सभी के लिए एक होता है लेकिन हमारे गम्हरिया प्रखण्ड के लिए अलग व्यवस्था किया जा रहा है. झारखंड प्रदेश में सभी कार्यालयों में बायोमैट्रिक एटेंडेंस बंद है।

लेकिन गम्हरिया प्रखण्ड में बायोमैट्रिक अटेंडेंस बनाने को मजबूर किया जा रहा है. इस तरह के गतिविधि से संक्रमण का विस्तार को नकारा नहीं जा सकता. कोरोना के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार द्वारा मिनी लॉकडाउन लगाकर इसके चेन को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं इस तरह से बायोमैट्रिक अटेंडेंस बनवाकर एक प्रकार से संक्रमण के चेन को बढ़ाया जा रहा है. बताते चलें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा कोरोना गाइडलाइन जारी किया गया है। जिसमें बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर 31 जनवरी तक पूरी तरह रोक लगाया गया है. इस प्रकार के मिले आदेश के बावजूद भी बायोमैट्रिक एटेंडेंस बनाने को मजबूर किया जाना समझ से परे है.

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