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सरायकेला-खरसावां (संजय मिश्रा) तामझाम और दिखावट की बन रही दुनिया में सामाजिक और पारिवारिक परिवेश काफी हद तक दूषित हो चला है। ताजा मामला बीते बुधवार को सरायकेला के बिरसा मुंडा स्टेडियम के समीप भटकते हुए पाए गए दो बच्चों के माध्यम से देखा जा सकता है।

जिसमें 17 वर्षीय बालक ओमनो कोड़ा ( काल्पनिक नाम) ने ना सिर्फ अपने माता पिता को बल्कि सरायकेला में भी उसको संरक्षण देने के लिए हाथ थामने वाले सभी को झूठ बोलकर बरगलाने का काम किया। हालांकि पूरे मामले को जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष महावीर महतो ने बारीकी से सुलझाते हुए दोनों बच्चों को उनके माता-पिता को सौंप दिया।
बीते बुधवार को तकरीबन 8 घंटे तक चले पूरे घटनाक्रम के संबंध में जानकारी देते हुए चाइल्डलाइन के विकास दारोगा ने बताया कि समाजसेवी सानंद आचार्य की मदद से 17 वर्षीय उक्त बालक और उसके छोटे भाई 7 वर्षीय राकेश कोड़ा ( काल्पनिक नाम) को सरायकेला बालमित्र थाना और चाइल्डलाइन के सहयोग से थाना लाया गया था। जहां कागजी कार्रवाई पूरी करने के पश्चात दोनों बच्चों को चाइल्डलाइन सरायकेला खरसावां के संरक्षण में सौंप दिया गया है। चाइल्डलाइन द्वारा दोनों बच्चों को तत्काल आश्रय देते हुए जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष महावीर महतो को इसकी सूचना दी गई। जिसके बाद अध्यक्ष के निर्देशानुसार दोनों बच्चों का कोरोना जांच कराने के पश्चात उन्हें बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां तक बच्चों ने टूटी फूटी भाषा में अपनी बनाई कहानी पति के रहते हुए घर से प्रताड़ित किए जाने और भागकर मामा के घर गोइलकेरा जाने के बाद कहते रहे। इसके पश्चात जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष महावीर महतो आदित्यपुर थाना एवं चाइल्डलाइन की टीम के साथ बच्चों को लेकर उनके बताए गांव वास्कोनगर आदित्यपुर पहुंचे। जहां पता चला कि दोनों बच्चे बीते 10 अगस्त की दोपहर से ही घर से नहाने जा रहे बोलकर निकले थे। और वापस नहीं आने की स्थिति में उनके माता-पिता ने दोनों बच्चों कि काफी खोजबीन करते हुए उनकी गुमशुदगी का आवेदन भी आदित्यपुर थाना में दिया था। बताया जा रहा है कि बच्चों के माता-पिता बेहद ही गरीब और दोनों ही कंपनी में मजदूरी का काम करके परिवार का पालन पोषण करते हैं। इसमें बड़ा बेटा पहले भी घर से भागने की ऐसी घटनाएं कर चुका है। जिसे काफी खोजबीन कर घर लाया गया है। पूरे मामले को समझने के पश्चात जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष द्वारा बच्चों का काउंसलिंग करते हुए भली-भांति समझा-बुझाकर उनके माता-पिता को सौंप दिया गया।

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