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जमीन माफिया और वन विभाग की मिली भगत से दलमा के तराई में सरकारी जमीनों की करोड़ों में हेरा फेरी………..

सवाल उठ रहे है …. क्या काननू आमजनों के लिये या भूमाफिया पर भी …….?

सरायकेला (सुदेश कुमार) दलामा वन्य प्राणी आश्रेयणी इको सिसेंटिव जोन के अर्न्तगत लगभग 96 किलो मीटर के अर्न्तगत आता है। जमशेदपुर-रांची राष्ट्रीय मार्ग 32 और 33 के दोनों ओर की जमीन और प्रतिष्ठान इको सिसेंटिव जोन के अधिन है । वन विभाग के माने तो इको सिसेंटिव जोन के अर्न्तगत किसी प्रकार के पक्का भवन या कम्पनी का नव निर्माण नही किया जाना है । जिसको लेकर वन विभाग के द्वारा आसनवनी के क्षेत्र में कई बड़े प्रतिष्ठानों को बंद करने का आदेश निर्गत की गई थी और कई पर प्रशासनिक कार्रवाही भी हुई ।

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परन्तु दलमा के तराई में बसे गांव महुल बागान अनुसूचित क्षेत्र आसनवनी मौजा के अर्न्तगत आता है जहां गैर आदिवासी समूदाय के लोगों को वन विभाग, चाण्डिल अंचल कार्यालय के साथ भु माफिया की सांठगांठ कर आसनबनी मौजा के थाना नं 325 खाता नं 460 के कुल रकवा 9.34 सरकारी भुमि का प्लाटिंग कर भु माफिया द्वारा शहरी व्यवसायीयों को खुलेआम चुनौती के साथ बेचने का काम कर रहे है । इस पुरे मामले में आसनवनी के ग्राम सभा और मुखिया की मौन का कारण भु माफिया के साथ मिलिभगत की आशंका जतायी जा रही है ।

वही दुसरी और भु माफिया इको सिसेंटिव जोन के अर्न्तगत रैयत भुमि फेकल मझीयान के भुमि पर हपना मांझी के द्वारा एकरारनामा के आधार पर खाता नं 95,106, 107 पर विसाल काया कम्पनी का निर्माण किया जा रहा है । इस संबंध में दलमा के पदाधिकारी से क्षेत्र का विडियों कॉल कर दिया गया । जवाब में कहा गया की इस मामले को वरीय पदाधिकारी डील कर रहे है ।
बाता दे की दलमा में अवैध कारोबार चल रहा है जिसकी जानकारी छोटे से बड़े पदाधिकारी को इसकी जानकारी है । पर भु माफिया द्वारा इको सिसेंटिव जोन में करोड़ों की जमीन की खरीद विक्री के साथ निर्माण पर अवतक रोक क्यो नही लगी है …………..

चाण्डिल अंचल अधिकारी और दलमा के वन वरीय पदाधिकारी पर सवाल उठ रहे है….

क्या काननू आमजनों के लिये या भूमाफिया पर भी …….????

 

 

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