हद कर दी आपने… अपने सिस्टम की ही बखिया उधेड़कर महफिल में औरों की तारीफ कर डाली
सरायकेला-खरसवां (संजय मिश्रा) बीते दिनों राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उराँव द्वारा दिए गए विवादित बयान का अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने घोर निंदा की है। वित्त मंत्री द्वारा सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का माहौल नहीं जैसे विवादित बयान पर अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक दत्ता ने प्रेस बयान जारी कर कड़ी निंदा एवं भ्रत्सना करते हुए बयान का विरोध किया है।
उन्होंने कहा है कि सरकार में मंत्री रहते हुए सरकारी विद्यालयों की अपेक्षा निजी विद्यालयों को श्रेष्ठ बताने और उसका गुणगान करने संबंधी बयान देने से पहले मंत्री जी को सोचना चाहिए कि सरकारी विद्यालयों में अधिकांश अभिवंचित वर्ग एवं सुविधा विहीन परिवार के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।
उन्होंने कहा है कि मंत्री जी को यह भी बताना चाहिए कि :-
1 – शिक्षकों को पीडीएस दुकानों में ड्यूटी का आदेश किसने दिया? राशन कार्ड सत्यापन में किसके आदेश से सरकारी शिक्षकों को लगाया गया?
2- कोरोना काल में घर-घर चावल बांटने का आदेश किसने दिया? किसके आदेश पर सरकारी प्राथमिक शिक्षा में एनजीओ का हस्तक्षेप और उनके दिशा निर्देश पर विभिन्न शिक्षण कार्यक्रमों को लागू किया गया?
3- लंबे समय से बीएलओ कार्य में शिक्षकों को किसके आदेश पर लगाया गया? क्या निजी विद्यालयों के शिक्षकों से उक्त सभी कार्य करवाया जाता है?
4- निजी विद्यालयों के छात्र और उनके अभिभावकों तथा सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र एवं उनके अभिभावकों के बीच गहरे सामाजिक फैसले की क्या मंत्री जी को जानकारी नहीं है।
5- निजी विद्यालयों के अधिकांश छात्रों के पास ऑनलाइन क्लासेज करने के लिए मोबाइल उपलब्ध है। जिसमें अभिभावकों का सहयोग भी प्राप्त है। परंतु क्या सरकारी विद्यालय के अधिकांश छात्रों को ऑनलाइन क्लास करने के लिए मोबाइल उपलब्ध है?
ऐसी परिस्थिति में सरकारी विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संभव करने पर मंत्री जी को गंभीर विचार करने की जरूरत है। लंबे समय से राज्य के सरकारी शिक्षकों और शिक्षक संघों की लगातार मांग रही है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से पूर्णत: मुक्त किया जाए। इस संबंध में अब तक सरकार के द्वारा ठोस निर्णय क्यों नहीं लिया गया? उन्होंने मंत्री जी से अनुरोध किया है कि केवल शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त कर दें। और शिक्षकों का पूरा समय केवल शिक्षण कार्य के लिए सुनिश्चित करा दे तो गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के मामले में निजी विद्यालय सरकारी विद्यालयों के सामने कभी टिक नहीं पाएंगे। सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की योग्यता और प्रतिभा में कोई कमी नहीं है। जरूरत है तो केवल सरकार के दृढ़ इच्छाशक्ति की।
सरकारी स्कूलों के प्रति वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के गैर जिम्मेदाराना और एकपक्षीय बयान के विरोध में अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा आगामी 14 सितंबर को राज्यव्यापी काला बिल्ला लगाकर विरोध दर्ज किए जाने की जानकारी उन्होंने दी है।