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सरायकेला: झारखंड विधान सभा निवेदन समिति अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान जिले के सभी विभागों के पदाधिकारियों संग बैठक कर हर विभागों के प्रतिवेदनों को तत्काल सरकार के गाइडलाइंस का पालन करते हुए ग्रामीण विकास विभाग को भेजने का निर्देश दिया है। वैसे जिले की चार योजनाओं को समिति द्वारा स्वीकृत किए जाने की बात कही गई। इनमें से 3 योजनाएं खरसावां विधायक दशरथ गागराई द्वारा दी गई है।

निवेदन समिति के सभापति एवं बरही से कांग्रेस विधायक उमाकांत अकेला ने बताया वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल के दौरान राज्य में विकास की गति थोड़ी धीमी जरूर हुई है, लेकिन झारखंड सरकार विकास के कार्यों में तेजी लाने के प्रति कृतसंकल्पित है। उन्होंने राज्य के अधिकारियों को बेलगाम बताया और कहा कि पूर्व की रघुवर सरकार के दौरान राज्य के अफ़सर बेलगाम थे। जिन पर लगाम कसने का प्रयास किया जा रहा है। बेलगाम अधिकारी राज्य के विकास में बाधक बने हुए हैं। उन्हीं के कारण सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है। उन्होंने जिले के जर्जर हो चुके सड़कों का स्टीमेट बनाकर ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजे जाने का निर्देश दिया। बैठक में आरईओ, जल संसाधन एवं मद्य निषेध विभाग के पदाधिकारी मौजूद रहे। वही बरही विधायक ने जिला मुख्यालय में पदस्थापित एक महिला आउटसोर्स कर्मी द्वारा किसी कर्मचारी की शिकायत लेकर पहुंचने के सवाल पर जिले के डीसी एवं एसपी से मामले में मध्यस्तता करते हुए सुलह कराने का निर्देश दिया. वहीं विधायक ने विधानसभा में नमाज के लिए विशेष कक्ष आवंटित किए जाने के मामले पर मचे बवाल को विपक्ष का एजेंडा बताया। उन्होंने बताया कि पहले भी ऐसा होता रहा है। सभी धर्मों को समान अधिकार प्राप्त है, जो अपने धर्म की इबादत करना चाहें कर सकते हैं। वहीं राज्य सरकार के संशोधित नियोजन नीति से भोजपुरी और मगही भाषा को बाहर किए जाने के सवाल पर उन्होंने राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि इसको लेकर राज्य सरकार को अवगत कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि राज्य के कई हिस्सों में भोजपुरी और मगही भाषा बोली जाती है. ऐसे में राज्य सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. हालांकि अपनी ही पार्टी द्वारा राज्य सरकार के फैसले का समर्थन किए जाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि यह उनका अपना स्टैंड हो सकता है, लेकिन हम सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट जरूर कराएंगे. वही राज्य में ओबीसी को 27% आरक्षण देने के मामले पर भी उन्होंने कहा राज्य में ओबीसी को 27 फ़ीसदी आरक्षण देना ही पड़ेगा।

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