मंत्री चंपाई सोरेन की अनुशंसा पर पौराणिक धार्मिक स्थल भीमखांदा के सौंदर्यीकरण की कवायद शुरू
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सरायकेला। कहते हैं कि इतिहास पर गर्व कर वर्तमान सुधरता है और भविष्य संवरता है। कुछ नहीं विचारधाराओं के साथ महाभारत काल के पौराणिक धरोहरों को अपने आंचल में समेटे राजनगर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बाना टांगरानी पंचायत के भीमखांदा धार्मिक स्थल के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को लेकर कवायद की जा रही है। वर्तमान की झारखंड के हेमंत सोरेन सरकार की जल, जंगल एवं जमीन को सुरक्षित करने के सपने के तहत इसे लेकर कार्य शुरू किया गया है।
जिसमें राज्य के आदिवासी कल्याण एवं परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन की अनुशंसा पर ऐतिहासिक पौराणिक स्थल भीमखांदा का सौंदर्यीकरण कर भव्य एवं आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का कार्य प्रारंभ किया गया है। इसके तहत जिला प्रशासन की टीम एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा भीमखांदा धार्मिक स्थल का सर्वे किया गया। मौके पर मौजूद भीमखांदा ट्रस्ट के सचिव सह झामुमो के केंद्रीय सदस्य गोपाल महतो ने बताया कि मंत्री चंपाई सोरेन की सकारात्मक सोच और अनुशंसा पर राज्य सरकार द्वारा भीमखांदा धार्मिक पौराणिक स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने का बेहतर प्रयास शुरू किया गया है। जिससे आस्था के केंद्र भीमखांदा में दूरदराज से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को सुविधाएं मिल सकेंगी।
बोंगबोंगा नदी के तट पर स्थित है भीमखांदा पौराणिक स्थल:-
राजनगर मुख्यालय से तकरीबन 12 किलोमीटर दूर बोंगबोंगा नदी के तट पर स्थित भीमखांदा पौराणिक स्थल महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास को दर्शाता है। जहां मान्यता के अनुसार महान धनुर्धर अर्जुन द्वारा स्थापित बाबा पाण्डवेश्वर महादेव शिवलिंग भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है। वही श्री श्री एकता संकल्प वृक्ष आगंतुक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। जिसमें दो अशोक वृक्ष की शाखाएं शिखर की ओर पहुंचकर संयोजित हो गई है। और वहां एक शाखा से तीन और दूसरी शाखा से दो शाखाएं प्रस्फुटित हुई। जिसमें पांचों शाखाओं को पांच पांडवों के रूप में और दोनों वृक्षों को माता कुंती और माता माद्री के रूप में धार्मिक मान्यता प्राप्त है। इसी प्रकार महाबली भीम एवं हिडिंबा के विवाह का प्रतीक स्थल के रूप में विवाह भोज के लिए महाबली भीम द्वारा बनाया गया विशालकाय चूल्हा भी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र रहा है। जहां प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर भक्त पहुंच कर चूल्हे में घुसकर आरपार होते हैं। मान्यता है कि मनोकामना धारण कर ऐसा करने से उस व्यक्ति की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। इसके साथ ही महाबलशाली गदाधारी भीम के पैर के निशान और महाधनुर्धर अर्जुन द्वारा छोड़े गए बान जिससे पेड़ की टहनी के बीचो-बीच बना आज भी महाभारत काल का प्रतीक और आस्था का केंद्र बना हुआ है।
मंत्री चंपाई सोरेन के प्रयास और सकारात्मक सोच की पहल है भीमखांदा का सौंदर्यीकरण :-
सरायकेला खरसावां जिले के पौराणिक स्थल भीमखांदा को भव्य एवं आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की अनुशंसा राज्य सरकार के आदिवासी कल्याण एवं परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन द्वारा किया गया था। जिसका परिणाम आने वाले समय में क्षेत्र के विकास और बेहतर पर्यटन के रूप में देखा जा सकेगा। मंत्री चंपाई सोरेन के निर्देश एवं प्रयास से वनों एवं धार्मिक स्थलों जाहेरथान की रक्षा के लिए चाहरदिवारी किए जाने का कार्य किया जा रहा है। जिसका मूल उद्देश्य हरियाली की रक्षा की जा सके और परंपरा एवं आस्था के केंद्रों को सुरक्षित रखते हुए पर्यटन का विकास किया जा सके।