जगन्नाथपुर में भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा सुन भाव विभोर हुए भक्त श्रद्वालु…..
सरायकेला: सरायकेला के जगन्नाथपुर स्थित गोकुल नगर में चल रहे श्रीमदभागवत गीता पाठ के छठे दिन शुक्रवार को भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर भक्त श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। कथा में जैसे ही भगवान का जन्म हुआ पूरा कथा स्थल ‘नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की’ के जयकारों से गूंज उठा। कथा वाचक मंगला महापात्र,रामनाथ होता,बसंत प्रधान व दिनेश प्रधान ने क्रमवार सुबह से लेकर शाम तक भागवत गीता पाठ करते हुए कथा सुनाया गया।
कथावाचक द्वारा बताया गया भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। बताया गया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी को रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ। भगवान कृष्ण ने संसार को अंधेरे से प्रकाश में लाने के लिए जन्म लिया और अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञानरूपी प्रकाश से दूर किया। भगवान कृष्ण को जब वासुदेव यशोदा मैया के घर लेकर जा रहे थे तो शेषनाग ने छाया की और मां यमुना ने चरण छुए। वासुदेव कृष्ण को नंदबाबा के घर छोड़कर यशोदा मैया की कन्या को लेकर वापस कंस के कारागृह में आए। भागवत कथा के सफल आयोजन में पंचानन महतो,मुनू प्रधान,सहदेव सरदार,शंभूनाथ प्रधान,विमल प्रधान,देवीदत्त प्रधान,हिरेन प्रधान,चुनु प्रधान,कृष्ण कुमार प्रधान,वशिष्ठ प्रधान,शेखर प्रधान,सुंदर प्रधान,हिमांशु प्रधान व लखिन्द्र प्रधान समेत अन्य का सराहनीय योगदान रहा है।