सरायकेला-खरसावां (संजय मिश्रा) सरायकेला की परंपरागत रथ यात्रा के तहत मंगलवार को बाऊड़ा घूरती रथ का आयोजन किया गया। इस मौके पर जगन्नाथ भक्तों द्वारा कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए हालांकि रथ का संचालन नहीं किया गया। सीमित भक्तों और पुजारियों की उपस्थिति में पूजा अर्चना कर महाप्रभु श्री जगन्नाथ एवं उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई अग्रज बलभद्र को मौसी बाड़ी गुंडिचा मंदिर से विधि विधान के साथ विदाई दी गई।
जिसके बाद भक्तों द्वारा उक्त तीनों देवी देवताओं के विग्रह को कंधे पर उठाकर पैदल यात्रा प्रारंभ की गई। जय जगन्नाथ जय जय जगन्नाथ के जयकारे के बीच तकरीबन ढाई सौ मीटर की यात्रा तय कर महाप्रभु कालूराम चौक पहुंचे। जहां रात्रि विश्राम के लिए रुके। इस अवसर पर भक्तों द्वारा कालूराम चौक पर महाप्रभु का स्वागत करते हुए पूजा अर्चना की गई।
बुधवार को पहुंचेंगे श्री मंदिर:- परंपरागत 2 दिनों की रथ यात्रा के तहत महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ अपने भक्तों के संग बुधवार को श्री मंदिर पहुंचेंगे। जहां विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के पश्चात चातुर्मास शयन के लिए चले जाएंगे।
यादों में रह गए रथ यात्रा की परंपराएं:- जगन्नाथ भक्त बताते हैं कि कोरोना कहर के कारण लगातार 2 वर्षों तक रथ यात्रा का आयोजन नहीं किया जा सका है। जिसमें रथ यात्रा के साथ प्रसाद का वितरण और प्रसाद के लूटने जैसे उत्साह भक्तों की यादों में सिमट कर रह गए हैं। इसके साथ ही भक्तों द्वारा रथ खींचने का उत्साह भी लगातार दूसरे वर्ष फीका रहा बताया जा रहा है। सभी मिलकर मौके पर महाप्रभु श्री जगन्नाथ से कोरोना संकट से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करते हुए देखे जा रहे हैं।