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भागवत कथा के दूसरे दिन विभिन्न अवतारों की कथा का हुआ प्रवचन।

भागवत के हर प्रसंग में जीवन जीने की कला छिपी हुई है: साध्वी ऋत्विजा शास्त्री…

सरायकेला: संजय मिश्रा : खरसावां के काली मंदिर परिसर में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन श्रीधाम वृंदावन से आयी विदुषी दीदी ऋत्विजा शास्त्री ने भगवान विष्णु के 24 अवतारों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने परीक्षित जन्म कथा, शुकदेव आगमन, हिरण्याक्ष कथा, सृष्टि विस्तार, कपिल-देवहूति संवाद पर विस्तार से व्याख्या किया. साथ ही भागवत के विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन देते हुए तर्कों के साथ व्याख्या किया. इस दौरान कथा विदुषी दीदी ऋत्विजा शास्त्री ने कहा कि निर्गुण ब्रह्म की इच्छा पर ही संसार चलती है. जगत कल्याण के लिये प्रभु ने इस संसार में अलग-अलग रूप में जन्म लिये. उनकी हर लीला में जीवन कैसे जीना है,

इसका संदेश रहता है. भागवत के हर प्रसंग में जीवन जीने की कला छिपी हुई है. दीदी ऋत्विजा शास्त्री ने कहा कि हरि अनंत है, हरि कथा अनंत है. भागवत कथा का रसपान कर उसमें डूबना सीखिये. भागवत कथा का श्रवण करें, जीवन सुख-शांतिमय हो जायेगा. कृष्ण रूपी अमृत प्राप्त करना है, भागवत रूपी नदी में उतारना पड़ेगा. भागवत के हर प्रसंग का वैज्ञानिक महत्व भी है. भागवत का एक एक प्रसंग ज्ञानवर्द्धक व व्यवहारिक है.

— परमात्मा को जानने-महसूस करने का एक मात्र माध्यम भागवत कथा है

दीदी ऋत्विजा शास्त्री ने कहा कि परमात्मा को जानने-महसूस करने का एक मात्र माध्यम भागवत कथा है. दीदी ऋत्विजा शास्त्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा व्यक्ति में मानवीय गुणों का समावेश कर उसे चरित्रवान व संस्कारवान बनाती है. जिससे व्यक्ति स्वयं को सबल बनाता है और अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है. संगीतमय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दौरान आकर्षक झांकी निकाली गयी. इस दौरान भक्त भाव-विभोर हो उठे. इस दौरन श्रद्धालु कृष्ण भक्ति पर डूबकी लगाते हुए झूम उठे. इस दौरान कृष्ण भक्ति से ओत प्रोत भजन पेश किया गया. इससे पूर्व व्यास पीठ पर भागवत महापुराण की आरती उतारी गयी. इस दौरान मुख्य रुप से वृंदावन के आचार्य सुनील पाराशर, आचार्य प्रिंस कुमार, वाराणसी के पंडित चमन जी, संगीत टीम में मनोज जी, शैलेंद्र प्रताप, उत्तम जी आदि मौजूद रहे.

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