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डहरे टुसु परब में चांडिल की झांकियों में राढ़ सभ्यता की संस्कृति दिखाई गई…

चांडिल डेस्क (सुदेश कुमार) : कुड़मी समाज चांडिल के तत्वावधान में डहरे टुसु परब आयोजन के लिए गोलचक्कर चांडिल से रवाना हुए सैंकड़ों टुसु प्रेमी । गौरतलब है कि जमशेदपुर स्थित साकची आमबागान में पिछले साल की भांति आज 7 जनवरी रविवार को “डहरे टुसु परब” का आयोजन किया गया। इस अवसर पर झारखंड, बंगाल, ओडिशा आदि जगहों से हजारों की संख्या में टुसु प्रेमी शामिल हुए। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कुड़मी समाज के सरायकेला जिला प्रभारी प्रभात कुमार महतो की अध्यक्षता में सभी लोगों को रवाना किया गया।

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मौके पर सचिव अशोक पुनअरिआर ने कहा कि इस बार चांडिल से निकाली गई झांकियों में आदिकालीन कुड़माली संस्कृति, राढ़ सभ्यता से जुड़े वन्य जीवन शैली एवं कृषि सभ्यता की प्रारंभिक काल को प्रमुखता से दर्शाया गया, जिसकी तैयारी पहले से किया गया था। इसके अलावा टुसु गीतों की प्रस्तुति के साथ हनुमान, बंदर, बाघ,भालू, मोर आदि के साथ छऊ मुखौटे में श्रीकृष्ण, राधा, सखियां, किरात-किरातिन जैसे प्रमुख किरदारों का भी नृत्य प्रस्तुत किया गया।

इस बार दो जगहों से झांकियां निकाली गई एक डिमना चौक से साकची आमबागन दूसरी और गम्हरिया सुनील महतो समाधि स्थल से साकची आमबागन तक जिसमें चांडिल कुड़मी समाज की अहम भूमिका रही। इस कार्यक्रम के अगुवाई में सचिव अशोक पुनअरिआर, जनसंपर्क गुणधाम मुतरुआर, क्रिशिका प्रियगुणा, सभापति बांसरिआर, प्रियरंजन बांसरिआर, आमीन महतो, राकेश महतो, कोकिल महतो, रहिन महतो, मदन, चित्तरंजन, प्रितम, गुरुपद, राजकुमार , सुनील, रवीन्द्र, रिझु आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।

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