डायन कुप्रथा उन्मूलन जागरूकता रथ को डीडीसी ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना…
डायन कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने तथा महिलाओं को सशक्त करना है अभियान का मुख्य उद्देश्य : उप विकास आयुक्त…
उप-विकास आयुक्त प्रवीण कुमार गागराई
सरायकेला: संजय कुमार
सरायकेला जिला समाहरणालय परिसर से उप-विकास आयुक्त प्रवीण कुमार गागराई के द्वारा डायन कुप्रथा उन्मूलन जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। मौके पर जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती सत्या ठाकुर, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी, महिला एवं बाल विकास पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे। इस सम्बन्ध में उप विकास आयुक्त ने कहा कि महिला एवं बाल विकास सामाजिक सुरक्षा विभाग के निर्देश पर डायन कुप्रथा के प्रति लोगों को जागरूक करने के उदेश्य से सरायकेला एवं चांडिल अनुमंडल के लिए अलग-अलग जागरूकता वाहन को रवाना किया गया है। उन्होंने कहा कि यह जागरूकता वाहन सभी प्रखंडो में दो-दो दिन भ्रमण कर डायन कुप्रथा उन्मूलन के प्रति लोगों को जागरूक करेगी। उन्होंने कहा कि डायन कुप्रथा के प्रति लोगों को जागरूक करना तथा महिलाओ को शशक्त करना अभियान का मुख्य उदेश्य है।
डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 2001के तहत प्रावधान:-
डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 2001 के तहत किसी महिला को डायन के रूप में पहचान करने वाले तथा उस पहचान के प्रति अपने किसी भी कार्य, शब्द या रीति से कार्रवाई करने वाले को अधिकतम तीन महीने तक कारावास की सजा अथवा एक हजार रूपये जुर्माना अथवा दोनों सजा का प्रावधान है। किसी महिला को डायन के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना जानबूझकर या अन्यथा प्रताड़ित करने पर छः माह की अवधि के लिए कारावास की सजा अथवा दो हजार रूपये तक जुर्माने अथवा दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है। किसी महिला को डायन के रूप में पहचान करने के लिए साक्ष्य या अनवधता से अन्य व्यक्ति अथवा समाज के लोगों को उकसाने या षडयंत्र रचने या सहयोग करने की स्थिति में तीन महीने तक का कारावास अथवा एक हजार रूपये तक के जुर्माने अथवा दोनों सजा से दण्डित करने का प्रावधान है।
डायन के रूप में पहचान की गई महिला को शारीरिक या मानसिक हानि पहुँचाकर अथवा प्रताड़ित कर झाड़-फूंक या टोटका द्वारा उपचार करने वाले को एक साल तक की कारावास की सजा अथवा दो हजार रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों सजा का प्रावधान है।