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जीवंत दिखी आदिवासी समाज की परंपरा “सेता आंदी”; ग्रह दोष निवारण के लिए बच्चे की कराई कुत्ते के पिल्लों से शादी; जमकर झूमे बाराती और सराती…

सरायकेला संजय मिश्रा:

सरायकेला। प्राय:तर सभी समाज और सभी समुदायों में ग्रहों की पीड़ा और उनके दोष से मुक्ति के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं। इसी प्रकार आदिवासी समाज में ग्रहों के कष्टकारी प्रभाव से मुक्ति के लिए “सेता आंदी” की एक प्राचीन परंपरा रही है। जो आज भी विभिन्न परंपरागत आदिवासी परिवारों में यथावत प्रचलन में है। जिसमें 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ग्रहों के दोष निवारण के लिए उनका प्रथम विवाह कुत्ते के पिल्लों से कराने की परंपरा है।

आखान यात्रा के दूसरे दिन पर परंपरागत सात दिवसीय मागे परब के सातवें दिन हर मागे पर आयोजित होने वाली उक्त सेता आंदी परंपरा के तहत सरायकेला प्रखंड के विष्णुपादुका गांव स्थित राजाबासा टोला की ग्राम सीमा पर पुजारी नाया जनता गागराई द्वारा एक 2 वर्ष 2 महीने की एक लड़की सुमन गागराई की सेता आंदी कराई गई।

जिसमें बच्ची की माता सोमबारी गागराई एवं पिता राजू गागराई सहित ग्राम वासियों की उपस्थिति में सभी परंपराओं का निर्वहन करते हुए ग्राम सीमा पर स्थित परंपरा अनुसार सहाड़ा वृक्ष के नीचे सेता आंदी विवाह संपन्न कराया गया। जिसमें बागिया देवता का आह्वान करते हुए सिंदूर के रूप में टूटे हुए खपरा को पीसकर प्रयोग में लाया गया।

क्या है मान्यता:-
मान्यता है कि जिस बच्चे के प्रथम दांत ऊपर के निकलते हैं। उसके जीवन के लिए बेहद ही खराब ग्रह दोष होता है। जिसके निवारण के लिए सेता आंदी परंपरा का निर्वहन किया जाता है। इसके तहत विवाह के सभी विधि विधान के साथ 5 वर्ष से कम उम्र में सहाड़ा पेड़ के नीचे संबंधित बालक या बालिका की पहली शादी कुत्ते के पिल्ले से कराया जाता है। जिससे सभी ग्रह दोष खत्म हो जाने की मान्यता है।

विवाह के सभी रस्मो का होता है पालन:-
सेता आंदी विवाह परंपरा में विवाह के सभी रस्मों का पालन हर्षोल्लास के साथ किया गया। जिसमें मांदल की थाप पर नाचते गाते हुए ग्रामीण दूल्हा दुल्हन को घर तक ले आए। जहां उनका परंपरागत तरीके से स्वागत और गृह प्रवेश भी कराया गया। इसके साथ ही विवाह परंपरा के अनुसार प्रीतिभोज का भी आयोजन किया गया। मौके पर जानकारी देते हुए ग्राम मुंडा सह मानकी मुंडा संघ के जिला अध्यक्ष कोल झारखंड बोदरा ने बताया कि वैसे बच्चों में ग्रह दोष निवारण के लिए सेता आंदी की परंपरा अति मान्य है। इस दौरान सामान्य विवाह परंपरा के सभी नियमों का पालन करते हुए हर्षोल्लास के साथ सेता आंदी विवाह परंपरा संपन्न कराया जाता है।

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